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ग्रेटर नोएडा

कुणाल हत्याकांड का खुलासा: कहानी फिल्मी हो गई

राजेश बैरागी( वरिष्ठ पत्रकार)

मैं यह समझ पाने में असमर्थ हूं कि कुणाल हत्याकांड के खुलासे की घोषणा के दौरान संबंधित थाना बीटा 2(ग्रेटर नोएडा)के लाइन हाजिर पूर्व थाना प्रभारी को क्लीन चिट देने की क्या आवश्यकता थी। उन्हें एक मई को दिनदहाड़े अपहृत किए गए कुणाल का चार दिन बाद बुलंदशहर देहात कोतवाली क्षेत्र की एक नहर से शव बरामद होने पर स्वयं पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह ने थाने पर पहुंच कर लाइन हाजिर किया था। उनपर अपहरण की सूचना के बावजूद मामले को हल्के में लेने का आरोप था। इसी कारण कुणाल को जीवित बरामद नहीं किया जा सका जबकि उसके पिता ने अपने साढ़ू का नाम स्पष्ट तौर पर लिया था।आज गुरूवार को पुलिस ने एक युवती समेत चार लोगों को गिरफ्तार कर कुणाल हत्याकांड का खुलासा कर दिया। इस संबंध में आयोजित प्रेस वार्ता में पुलिस कमिश्नरेट के नंबर दो शीर्ष अधिकारी बबलू कुमार ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों ने कुणाल का अपहरण और हत्या पैसों के लेन-देन तथा ढाबे को हथियाने के उद्देश्य से किया। घटना को अंजाम देने के लिए बाकायदा आरोपियों ने साजिश रची जिसकी सूत्रधार एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही एक छात्रा तन्वी बनी जो पकड़े गए एक आरोपी की प्रेमिका है। यह एक ऐसी मुम्बईया फिल्म सरीखी कहानी है जिसमें अपराधियों का पता पहले से होता है परंतु उन्हें क्लाईमेक्स के समय पर ही पकड़ा जाता है।इस अवसर पर अपर आयुक्त बबलू कुमार ने लाइन हाजिर किए गए पूर्व थाना प्रभारी की इस मामले के खुलासे में सहयोग देने के लिए प्रशंसा भी की। हालांकि यह नहीं बताया गया कि उन्होंने अपहरण की सूचना पर त्वरित और गंभीर कार्रवाई क्यों नहीं की जिसके परिणामस्वरूप कुणाल की जान चली गई।

उल्लेखनीय है कि कुणाल हत्याकांड को लेकर शव मिलने के बाद भी पुलिस एक अलग थ्योरी पर काम कर रही थी जिसमें निकटतम परिजनों पर इस घटना को अंजाम देने का संदेह किया जा रहा था। हालांकि ऐसा कुछ नहीं निकला परंतु इस दौरान कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में पुलिस को विशेष रूप से निशाना बनाया गया था। कुछ भाजपा नेताओं ने भी पुलिस के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया था। माना जा रहा था कि कबाड़ माफिया रवि काना की गिरफ्तारी से परेशान लोग पुलिस पर इस हत्याकांड के बहाने अनुचित दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं।विभिन्न कोणों से देखे जा रहे इस हत्याकांड का खुलासा होने के बाद पुलिस अधिकारियों ने तो राहत की सांस ली है ,परंतु समय पर कार्रवाई न होने से एक मासूम को जीवित न बचा पाने का अफसोस तो बाकी रह ही गया है,

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