साहित्य उपवन
“आसमान की ऊंचाइयों को छूने चली हूँ मैं”- याक्षी
“आसमान की ऊंचाइयों को छूने चली हूँ मैं”- याक्षी
मेरे नाम यक्षी यश हैं में 19 साल की हुँ | मैं उत्तरखंड के रुड़की ज़िले में रह रही हुँ | मेरे घर वालों ने बहुत ज्यदा सपोर्ट करा हैं | मुझे लिखने का शौक हैं मैने लिखना 10 साल की उम्र शुरू कर दिया था | में फ्री टाइम में लिखना पसंद करती हुँ क्योंकि लिखने से सिकल्स अच्छी होती हैं | मैने शायरी का शौक अपने नाना जी से सीखा हैं जिनका नाम रामपाल सिंह गुज्जर हैं | मेरे नाना जी मेरे लिए रोले मॉडल हैं | उनको देख कर मुझे शायरी लिखने का शौक हुआ | और तब से मुझे लिखने की जिज्ञासा उत्तपन हुई | मैं शायरी लिखने के लिए 6 घंटे देती हुँ | मुझे सबसे ज्यादा मज़ा रोमांटिक,sad,देशभक्तिपूर्ण अगर मैं अपनी जिंदगी को शायरी के रूप में बात करू तो
एक छोटी सी उड़ान भर रही हुँ
अपने सपनो की तरफ पहला कदम बढ़ा रही हुँ
साथ देना मेरे दोस्तों मेरा
मैं अपने आसमान की ऊंचाइयों को नापने चलि हुँ |
मेरी लाइफ का एक लक्ष्य हैं की मैं आपने माता और पिता का नाम रोशन करू | और मैं यह चाहती हुँ की मेरे नाम से मेरे घर वाले मालूम हो | और में शायरी की फील्ड में इतना आगे निकल जाऊं की मुझ पर मेरे घर वाला प्राउड करें |