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धर्म

जानें इस बार 35 दिन देर से क्यों होगी दुर्गा पूजा?

Mahalaya 2020: महालया अमावस्या आज, जानें इस बार 35 दिन देर से क्यों होगी दुर्गा पूजा?

आश्विन माह की अमावस्या को महालय अमावस्या कहते है. ये पितृ पक्ष के अंतिम दिन मनाया जाता है. यानी देश भर में महालया अमावस्या आज ही मनाई जा रही है. बंगालियों के लिए इसी दिन से ही दुर्गा पूजा की शुरूआत हो जाती है. आम तौर पर, दुर्गा पूजा के उत्सव महालया के सात दिन बाद शुरू होते हैं लेकिन इस साल ये त्योहार महालया के एक महीने बाद शुरू होगा.  इस साल  22 अक्टूबर को षष्ठी और 26 अक्टूबर  को विजयादशमी मनाई जाएगी.

इस बार महालया के 35 दिन बाद दुर्गा पूजा- पंचांग के अनुसार, महालया और दुर्गा पूजा के बीच इतने दिनों के अंतर की वजह ‘मलमास’ है. इस बार मलमास 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक रहेगा. मलमास के दौरान ना तो कोई त्योहार मनाया जाता है और ना ही कोई भी शुभ कार्य किया जाता है. बंगाली महीना आश्विन एक चंद्र महीना है, इसीलिए दुर्गा पूजा इसके खत्म होने के बाद ही शुरू की जा सकती है.

क्या होता है मलमास- हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर तीन साल में एक बार अतिरिक्त महीना जुड़ जाता है, जिसे अधिकमास, मल मास या पुरुषोत्तम कहा जाता है. सूर्य वर्ष 365 दिन और 6 घंटे का होता है. वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है. दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है. हर साल घटने वाले इन 11 दिनों को जोड़ा जाए तो ये एक माह के बराबर होते हैं. इसी अंतर को पाटने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अस्तित्व में आता है, जिसे  मलमास या अधिकमास कहते हैं.

2001 में बना था ऐसा संयोग- यह पहली बार नहीं है कि जब दुर्गा पूजा में देरी होगी. आखिरी बार ऐसा 2001 में हुआ था जब दुर्गा पूजा महालया के 30 दिन बाद मनाई गई थी. महालया के दिन से बंगाली लोग त्योहार मनाना शुरू कर देते हैं. इस दिन तक पूजा पंडाल बनकर तैयार हो जाते हैं. लोग इस दिन से लोग नए कपड़े खरीदना शुरू कर देते हैं. हालांकि कोरोना वायरस की वजह से इस बार हालात अलग होंगे.

कैसे मनाया जाता है महालया- महालया अमावस्या के दिन बंगाली लोग पारंपरिक रूप से सुबह उठकर चंडीपाठ और महिषासुर मर्दिनी का पाठ सुनते हैं. इसके बाद वो अपने पूर्वजों के लिए प्रसाद बनाते हैं. कहा जाता है कि महालया अमावस्या के बाद से मां दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती के लिए अपनी यात्रा शुरू करती हैं. इस दौरान मां दुर्गा पृथ्वी पर पालकी, नाव, हाथी या घोड़े की सवारी करके आती हैं.

इस बार 17 अक्टूबर से दुर्गा पूजा मनाने की शुरूआत होगी. 17 अक्टूबर से ही प्रतिपदा यानी शारदीय नवरात्रि की शुरूआत होगी.

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