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साहित्य उपवन

Global News 24×7 Present-महाराजा अग्रसेन जयंती Special- Day 3

“महाराजा अग्रसेन जयंती” अश्विन शुक्ल प्रतिपदा के दिन धूम धाम से महाराजा अग्रसेन की याद में मनाई जाती है। नवरात्रि के पहले दिन अग्रसेन जयंती के रूप में मनाया जाता है। सम्पूर्ण वैश्य समुदाय इनको बड़े हर्ष उल्लास से मनाता है।

पशु बलि प्रथा को खत्म किया – जीव जंतुओ से प्रेम का संदेश दिया

महाराजा अग्रसेन  जीव जंतुओ से बहुत स्नेह और प्यार करते थे। उस समय यज्ञों में पशुओं की बलि देने की प्रथा थी। जब 18 यज्ञ शुरू हुए हर एक यज्ञ में जानवरों की बलि होने लगी। इस तरह से 17 यज्ञ पूरे हो गये।

पर जब 18 वें यज्ञ के लिए जीवित पशु की बलि होने लगी तो महाराजा अग्रसेन को इस हिंसा से बहुत घृणा उत्पन्न हो गयी। उन्होंने उसी वक्त बलि प्रथा को रोक दिया और घोषणा की कि उनके राज्य में कोई भी अब निर्दोष पशु की बलि नही देगा, ना ही कोई मांसाहार करेगा। सभी लोग जानवरों की रक्षा करेंगे।

महाराजा अग्रसेन ने इसी वजह से सूर्यवंशी क्षत्रिय धर्म का त्याग कर दिया और वैश्य धर्म अपना लिया। वैश्य धर्म में कोई भी मांसाहार नही करता है। इस तरह हम देखते है की महाराजा अग्रसेन एक दयालु और जीव-जंतुओ से प्रेम करने वाले राजा थे।

Global News 24×7 Present-महाराजा अग्रसेन जयंती Special- Day 1

महाराजा अग्रसेन के 3 आदर्श

  • लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था
  • आर्थिक समानता व समरूपता
  • समाजिक समानता
महाराजा अग्रसेन का संयास

इन्होने 108 वर्षो तक अपने राज्य “अग्रोदय” में राज्य किया। फिर अपने कुलदेवी महालक्ष्मी से परामर्श कर आग्रेय गणराज्य की सत्ता अपने बड़े बेटे विभु को सौप दी और संयास ले लिया।

Global News 24×7 Present-महाराजा अग्रसेन जयंती Special- Day 2

श्री अग्रसेन महाराज आरती

जय श्री अग्र हरे, स्वामी जय श्री अग्र हरे।
कोटि कोटि नत मस्तक, सादर नमन करें।। जय श्री।
आश्विन शुक्ल एकं, नृप वल्लभ जय।
अग्र वंश संस्थापक, नागवंश ब्याहे।। जय श्री।
केसरिया थ्वज फहरे, छात्र चवंर धारे।
झांझ, नफीरी नौबत बाजत तब द्वारे।। जय श्री।
अग्रोहा राजधानी, इंद्र शरण आये!
गोत्र अट्ठारह अनुपम, चारण गुंड गाये।। जय श्री।
सत्य, अहिंसा पालक, न्याय, नीति, समता!
ईंट, रूपए की रीति, प्रकट करे ममता।। जय श्री।
ब्रहम्मा, विष्णु, शंकर, वर सिंहनी दीन्हा।।
कुल देवी महामाया, वैश्य करम कीन्हा।। जय श्री।
अग्रसेन जी की आरती, जो कोई नर गाये!
कहत त्रिलोक विनय से सुख संम्पति पाए।। जय श्री!

महाराजा अग्रसेन जी की और अधिक जानकारी के लिए जुड़े रहे हमसे, हम कल फिर लौटेंगे भाग 4 के साथ

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