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गर्मी अधिक होने पर नाक से भी आ सकता खून : डा. अरुण 

  • गर्मी को न करें नजर अंदाज, तुरंत लें उपचार
  •  गर्मी से बचाव के लिए ठंडी चीजों का करें सेवन

बुलंदशहर:- मौसम बदलते ही तापमान 41 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच रहा है। इसके कारण हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन आदि की समस्याएं पैदा हो रही हैं। गर्मी के कारण कुछ लोगों को नाक से खून आने की समस्या हो जाती है। यह कहना है जनपद के गुलावठी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात डॉ. अरुण कुमार का। डॉ. कुमार ने सलाह दी है कि नाक से खून आने की समस्या को नजरअंदाज नहीं करें। उन्होंने बताया मेडिकल टर्म में इसको एपिटेक्सिस और बोलचाल में नकसीर कहते हैं। अक्सर यह समस्या गर्मी होने से होती है। कुछ लोगों को गर्म चीजें खाने से तो कुछ को अन्य कारणों से यह हो जाती है। इस तरह की समस्या होने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श करना चाहिये।

नकसीर के कारण

डा. अरुण का कहना है कि गर्मी में शुष्क हवा के कारण भी कई बार नाक से खून आने लगता है। नाक की खाल (म्यूकोजा) सूख जाती है, इससे नाक में सूखापन हो जाता है और नसिकाओं में तनाव के कारण खून निकलने लगता है।

साइनोसाइटिस की समस्या से भी नाक से खून आने लगता है। नाक में साइनस से सूजन आ जाती है और इससे नाक की झिल्ली फट जाती है। यह समस्या वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के कारण कई बार होती है।

सर्दी जुकाम होने पर कई बार नाक से खून आने की समस्या पैदा हो जाती है। जुकाम नाक की परत में जलन पैदा कर नकसीर की आशंका को काफी हद तक बढ़ा देता है।

डिहाइड्रेशन या हीट स्ट्रोक से भी नाक में खून आने लगता है। वहीं, बहुत ज्यादा मसालेदार तेज मिर्ची, खट्टा खाने वालों को भी यह समस्या हो जाती है।

 

त्वरित उपचार

नाक से खून आने पर मरीज को पीछे सहारे से बैठा दें। पांच-सात मिनट तक नाक दबा कर रखें और कपड़े में बर्फ लपेटकर नाक पर रख दें।

नाक से खून आने पर नाक की बजाय मुंह से सांस लेनी चाहिए।

जिन लोगों को नाक से खून आने की समस्या है उन्हें गर्मी में खास ख्याल रखना चाहिए, ज्यादा पानी पिएं, खट्टा और ज्यादा मसालेदार चीज खाने से परहेज करें। कोशिश करें गर्मी में बाहर निकले तो मुंह को ढक कर रखें। चिकित्सक की सलाह से नाक में कोई मोइश्चराइजर, क्रीम लगाएं, नाक को शुष्क न होने दें।

 

डा. अरुण का कहना है- समस्या होने पर चिकित्सक की सलाह जरूर लें, अपने आप इलाज न करें। उन्होंने बताया गर्मी बढ़ने के साथ ही ओपीडी में इस समस्या के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है।

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