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कब आएगी कोरोना की तीसरी लहर, CSIR के प्रमुख ने किया खुलासा

कब आएगी कोरोना की तीसरी लहर, CSIR के प्रमुख ने किया खुलासा

नई दिल्ली. देशभर में कोरोना वायरस के मामलों में एक बार फिर इजाफा हो रहा है. खासकर केरल, तमिलनाडु में जिस तरह से संक्रमण का ग्राफ ऊपर जा रहा है उसे देखकर ये माना जा रहा है कि ये कोरोना महामारी की तीसरी लहर है. क्या वाकई कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है? इस पर वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने बड़ा खुलासा किया है. सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी मांडे ने कहा, ये तो निश्चित है कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर आएगी, लेकिन यह कब आएगी और क्या लक्षण होंगे इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया पर प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, सीएसआईआर प्रमुख ने कहा कि टीकाकरण और मास्क पहनने से निश्चित रूप से तीसरी लहर की तीव्रता को कम करने में मदद मिलेगी. डॉ मांडे ने कहा कि वे केरल में कोरोना के बढ़ते आंकड़ों का विश्लेषण कर रहे थे. उन्होंने यह भी कहा कि वायरस का डेल्टा प्लस वेरिएंट प्लस ज्यादा चिंता का विषय नहीं है

डेल्टा या डेल्टा प्लस कौन-सा वेरिएंट है ज्यादा खतरनाक?

डॉ. मांडे ने कहा, “कोरोना वायरस को डेल्टा वेरिएंट खराब है, लेकिन डेल्टा प्लस के बारे में चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है. ब्रिटेन, यूरोप और अमेरिका ने अगली लहर देखी है. हमें एक संरक्षित दृष्टिकोण अपनाना होगा. अगली लहर आने की संभावना है, लेकिन कैसे और कब यह अभी पता नहीं चला है. यह वायरस के नए म्यूटेंट या कोविड -19 प्रोटोकॉल का पालन करने में ढिलाई के कारण हो सकता है.”

क्या काम कर रही है कोरोना वैक्सीन?

उन्होंने कहा कि आम जनता पर कोरोना वैक्सीन पूरी तरह से काम कर रही है, इसके लिए वैज्ञानिक सबूत मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि फिलहाल तीसरी लहर के लिए इसे ही एक मात्र हथियार माना जा रहा है. उन्होंने कहा कि सभी लोगों को जल्द से जल्द वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए, ताकि तीसरी लहर का सामना करने में आसानी हो. उन्होंने कहा कि वैक्सीन को लेकर कोरोनोवायरस की जीनोमिक निगरानी अगले तीन वर्षों तक जारी रहेगी.

WHO से पहले कोविड -19 शुरू कर दिया था विचार-विमर्श

उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महामारी घोषित किए जाने के पंद्रह दिन पहले, हमने कोविड -19 पर विचार-विमर्श शुरू किया और स्थिति को समझने की कोशिश की. 37 सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के विशेषज्ञों को शामिल किया गया था. हमने जीनोमिक, सीरो और सीवेज निगरानी की थी. हमने डायग्नोस्टिक किट और परीक्षण विधियों को विकसित और विकसित किया है, जिसमें ड्राई स्वैब विधि भी शामिल है.

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