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एक रूपया व एक ईट

एक रूपया व एक ईट:- अग्र -वैश्य समाज की गौरव गाथा , भाग 3

दिल्ली सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य (हेमू) 20 जनवरी 1556 से 5 नवंबर 1556 तक लगभग 10 माह तक दिल्ली की गद्दी के सम्राट रहे| उनका गौरव, उनका त्याग ,उनका अदम्य साहस सदैव याद किया जाता रहेगा तथा ऐसे , जाज्वल्यमान नक्षत्र से वैश्य जाति को सदैव ही प्रेरणा मिलती रहेगी |

सेठ भामाशाह का देश प्रेम भी सदैव भारतीय इतिहास में याद किया जाता रहेगा| आज भी मेवाड़ के विजय स्तंभ पर सेठ भामाशाह का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा हुआ है| उनकी उत्कृष्ट देशभक्ति की गाथा सदैव ही हमें प्रेरणा प्रदान करती रहेगी |

संपूर्ण भारत वर्ष में वैश्य जाति की जनसंख्या लगभग 14 करोड़ है ,परंतु इतनी बड़ी जनसंख्या में होने के बावजूद भी वैश्य जाति का राजनैतिक क्षेत्र में वह स्थान नहीं है ,जो होना चाहिए था |इसका कारण है कि हमअपने गौरवमयी इतिहास को भूलते जा रहे हैं| यह निश्चित तथ्य है कि जब तक हम राजनैति में अपना वजूद कायम नहीं करेंगे, तब तक सामाजिक क्षेत्र में भी हमारा वजूद कायम नहीं होगा क्योंकि राजनैतिक सुधार तथा सामाजिक सुधार एक ही गाड़ी के दो पहिये हैं ,जिनमें से एक के बिना दूसरे पहिये पर गाड़ी नहीं चल सकती ,दोनों की समान आवश्यकता है |

  • हम सुव्यवस्था के पोषक है, अव्यवस्था दूर भगाते हैं|
  • हम सुख -शांति के घोतक है, अशांति दूर भगाते हैं |
  • हम भारत मां के वीर पुत्र हैं, वीर शिरोमणि कहलाते हैं|
  • हम श्रेष्ठ पुरुष है इसीलिए, हम श्रेष्ठी कहलाते हैं |
  • हम औरों को अमृत पिलवाते, स्वयं जहर पी जाते हैं |
  • हम अग्रसेन के वंशज हैं, इसलिए हम अग्र-वैश्य कहलाते हैं |

राष्ट्र के उत्थान में वैश्य जाति का अपूर्व योगदान रहा है| मैं यहां पर वैश्य जाति के उन महान दैदीप्यमान नक्षत्रों का नाम दे रहा हूं जो कि भारत राष्ट्र की महान विभूतियां हैं तथा इन महान विभूतियों के सम्मान में भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किए हैं |

1,महाराजा अग्रसेन ,2,चंद्रगुप्त मौर्य, 3,सेठ भामाशाह, 4,राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, 5,कस्तूरबा गांधी, 6 ,लाला लाजपत राय, 7,भारत रत्न डॉक्टर भगवान दास, 8 ,सेठ जमनालाल बजाज, 9,राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त, 10 ,भारतेंदु हरिश्चंद्र ,11,सर गंगाराम, 12,डॉक्टर राम मनोहर लोहिया, 13,डॉक्टर काशी प्रसाद जायसवाल, 14 ,घनश्याम दास बिड़ला, 15 ,डॉ 0 राजा सर मुतैया चेटियार, 16,मोहनलाल सुखाड़िया, 17,बाबू शिवप्रसाद गुप्त, 18,श्रीयुत श्री प्रकाश, 19,कविवर जयशंकर प्रसाद ,20,हनुमान प्रसाद पोद्दार 21,श्यामलाल गुप्त “पार्षद ” 22 ,संत कवि सुंदर ददास, 3,डॉक्टर जगदीश चंद्र जैन, 24 आचार्य तुलसी, 25 पौटि्ट श्रीरामलू, 26. डी 0एन0 जटिया, 27,बृजलाल वियाणी, 28 ,बाबू गुलाब राय, 29,आनंद ऋषि जी, 30 ,नरेन्द्र मोहन, 31,इंद्र चंद्र शास्त्री, 32,ज्योति प्रसाद अग्रवाल, 33,बालचंद हीराचंद ,34 ,पदमपद सिंहानिया ,35,ए 0एम 0एम0 गुरुगुप्पा चेटि्टयार ,36,जवाहर लाल दर्डा, 37,लाला दीनदयाल, 38, डॉ0 आर0 एम0 अलागप्प चेटि्टयार,39,के0के0बिरला, 40 ,डॉक्टर दौलत सिंह कोठारी|

इन सभी महान विभूतियों पर संपूर्ण वैश्य समाज को गर्व है तथा वे महान विभूतियां आज भी वैश्य जाति के लिए प्रेरणा स्रोत हैं |

हमसे जुड़ने के लिए संपर्क करें 8006251800 या क्लिक करें:- एक रूपया व एक ईंट ग्रुप

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