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दनकौर

सुदामा चरित्र सुनने – पढ़ने से जीव कर्म बंधन से मुक्त होकर भगवान की शरण में चला जाता है

सुदामा चरित्र सुनने - पढ़ने से जीव कर्म बंधन से मुक्त होकर भगवान की शरण में चला जाता है

दनकौर : मौ0 प्रेमपुरी में स्थित देवी मंदिर पर चल रही श्री भद् भागवत कथा के विश्राम दिवस पर कथा वाचक श्री रवि कृष्ण भारद्वाज ने कथा में उपस्थित सैकड़ों भक्तों को दत्तात्रेय के 25 गुरुओं के बारे में बताया,

उन्होंने कहा कि दत्तात्रेय ने 25वां गुरु अपने देह को माना ,देह को प्राप्त करने वाला जीव उस रथ पर पहुंच जाता है जो परमात्मा के बहुत निकट है ,यह शरीर सिर्फ सांसारिक प्राणियों के संग के लिए नहीं मिला, इसका ध्येय भगवान की प्राप्ति के लिए है,

इस प्रसंग में शास्त्री जी ने बताया कि भगवान कृष्ण ने सुदामा से कहा कि तूने तो मुझे चावल दिए, मैं तो फल ,फूल ,तुलसीदल और वह भी ना हो तो एक चुल्लू पानी चढ़ाने से भी प्रसन्न हो जाता हूं, मुझे बस भक्तों की निष्ठा चाहिए, शास्त्री जी के अनुसार भागवत में शुकदेव महाराज ने सुदामा चरित सुनने – पढ़ने का फल यह बताया है कि वह जीव कर्म बंधन से मुक्त होकर भगवान की शरण में चला जाता है,

श्री भद् भागवत की समाप्ति पर भक्तों को प्रसाद वितरण के साथ-साथ भंडारे का भी आयोजन किया गया,

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