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उत्तर प्रदेश

धर्म व मानवता के स्तम्भ वैश्य समाज का शोषण क्यों

धर्म व मानवता के स्तम्भ वैश्य समाज का शोषण क्यों - दिव्य अग्रवाल

इस विचार को मात्र पढ़ना ही नही अपितु चिंतन भी करना आवश्यक है । वैश्य समाज बिना किसी जातिगत भावना के समाजिक उत्थान में सदैव तत्तपर रहता है । कोरोना महामारी में दवाइयों का वितरण हो या ऑक्सीजन का वितरण हो वैश्य समाज ने मानवता हेतु निशुल्क लोगो की सेवा की है । अपनी लागत पर शासन व प्रशासन को भी जनकल्याण हेतु सभी तरह की मेडिकल किट व ऑक्सीजन उपलब्ध करवायी है । देश के ज्यादातर स्थानों पर मंदिरों , सामुदायिक भवनों , धर्मशालाओं व चैरिटेबल चिकित्सा केन्द्र का निर्माण भी वैश्य समाज ने ही करवाया है । अनाथ बच्चे ,वृद्ध जनों की सेवा , विधवा आश्रम का संचालन , कन्याओं का सामूहिक विवाह ये सभी जन सेवाए वैश्य समाज द्वारा व्यापक स्तर पर हजारों वर्षों से निरंतर आज तक कि जा रही है । इन सब सेवाओ का लाभ देश के सभी जाति के लोगो भी मिलता है । यदि बात सनातन धर्म की हो तब भी वैश्य समाज साधु संतों के लिए , मंदिरों के लिए सदैव अपना धन कोष खुला रखता है । वैश्य समाज ने ब्राह्मण समाज को सदा पूजनीय माना है । वैश्य समाज ने क्षत्रिय समाज को भी धर्म रक्षा हेतु सदैव समुचित सहयोग दिया है । इन सबके बाद भी क्या कमी रह जाती है कि जब भी वैश्य समाज का शोषण दबंगो द्वारा , रंगदारियो द्वारा या प्रासाशन द्वारा भी किया जाता है तो सारा समाज अपने मुँह में दही जमा लेता है । विकास दुबे की हत्या पर ब्राह्मण समाज के काफी लोगो ने आपत्ति जतायी थी तो क्या ब्राह्मण समाज को मनीष गुप्ता की निर्मम हत्या के विरुद्ध वैश्य समाज के साथ नही खड़ा होना चाहिए । क्या वो सभी समाज जो वैश्य समाज की मानव सेवा की प्रसंशा करता है उन्हें वैश्य समाज का साथ नही देना चाहिए । वो साधु संत समाज जो धर्म की दुहाई देकर वैश्य समाज को सबसे बड़ा दान दाता मानता है उस साधु संत समाज को वैश्य समाज का साथ नही देना चाहिए । क्या मनीष गुप्ता के हत्यारों की सम्पूर्ण संपत्ति की कुर्की होकर वो धनराशि मनीष के परिवार को नही मिलनी चाहिए । क्या मनीष के हत्यारों के साथ दुर्दान्ध अपराधी जैसा व्यवहार नही होना चाहिए । योगी जी सरकार से वैश्य समाज को कोई शिकायत नही है शिकायत है तो उस सिस्टम से है ।

दिव्य अग्रवाल
दिव्य अग्रवाल

जो समाज रास्ट्र आपदा , महामारी , या जनसेवा के लिए तो वैश्य समाज से उम्मीद रखता है परन्तु जब उस समाज को साशन , प्रासाशन की आवश्यकता होती है तब वो ही सिस्टम सब कुछ भूलकर वैश्य समाज के व्यक्ति को एक धनाढ्य व्यक्ति के तौर पर उपहासित या प्रताड़ित करने का भरपूर प्रयास करता है । वैश्य समाज का व्यक्ति जब तक एक हजार चक्कर सरकारी कार्यलय के नही काट लेता तब तक वैश्य समाज का संवैधानिक कार्य भी नही किया जाता है । अतः वैश्य समाज के साथ साथ सभी समाज को भी चिंतन करना चाहिए । वैश्य समाज कोई नींबू या दुधारू पशु नही है । जब चाहा जिसने चाहा तब निचोड लिया । अब वैश्य समाज को भी सोचना चाहिए कि वो अपना धन किस समाज की सेवा में लगा रहा है जब बाकी समाज विपरीत परिस्थितियों में वैश्य समाज का साथ भी नही देना चाहता । यदि वैश्य समाज के प्रति बाकी समाज की प्रतिकिर्या उपहाषित या शोषित करने वाली ही है तब वैश्य समाज के लिए भी गहन चिंतन का विषय है ।

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