[ia_covid19 type="table" loop="5" theme="dark" area="IN" title="India"]
साहित्य उपवन

आरजकता के कारण किसानों की छवि हो रही है धूमिल

आरजकता के कारण किसानों की छवि हो रही है धूमिल- दिव्य अग्रवाल

लखीमपुरी खीरी में जो कुछ भी हुआ वो मानवता ,प्रदेश व देश को शर्मशार करने वाला है । आंदोलन हो या अराजकता पर जब किसी की जान जाती है तो दुःख बहूत होता है । पत्रकार रमन कश्यप ना तो किसी पार्टी के कार्यकर्ता थे ना ही कोई आंदोलनकारी फिर उनकी हत्या क्यों हुई ।राकेश टिकैत जी आज एक जिम्मेदार व्यक्ति बन चुके हैं परन्तु कुछ दिन पहले रायपुर छत्तीसगढ़ में उन्होंने अपने एक व्यक्तव्य में कहा कि ये मीडिया सुधर जाए अन्यथा अगला नम्बर मीडियावालों का है । इसी तरह जब दिल्ली कूच करते हुए उन्होंने कहा था कि साशन प्रासाशन सुधर जाए अन्यथा बक्कल उतार दिए जाएंगे । इस व्यक्तव्य के बाद भारतीय फोर्स के साथ कैसा अमानवीय वर्ताव हुआ था ये पूरे देश ने देखा । देश की सुरक्षा करने वाले सुरक्षाकर्मियों/ फॉर्स या सत्यता को प्रकाशित करने वाले पत्रकारो की गलती है जो इन लोगो के साथ भी अमानवीय वर्ताव किया जा रहा , पीटा जा रहा है या मारा जा रहा है । निश्चित तौर पर राकेश टिकैत जी देश मे किसी भी अप्रिय घटना को होते नही देखना चाहेंगे परन्तु उनके व्यक्तव्यों के बाद बाकी समाज कैसे प्रतिकिर्या करता है इसका भी आंकलन किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति को अवश्य करना चाहिए । लखीमपुर खीरी में आंदोलन में कुछ लोग नजर आ रहे हैं जो भिंडरवाले की फ़ोटो व नाम लिखी शर्ट पहने हुए है । क्या वास्तव में वो लोग जमीनी किसान हो सकते हैं । इतिहास को याद रखना चाहिए कि भिंडरवाले का उद्देश्य क्या था । जब भिंडरवाले को सत्ता का संरक्षण प्राप्त हुआ था तब बाद में वो उसी सत्ता व देश की सुरक्षा के लिए कितना बड़ा प्रश्न चिन्ह बन गया था ।

दिव्य अग्रवाल
दिव्य अग्रवाल

उपद्रव की वायरल वीडियो में भाजपा के कुछ लोगो को , ड्राइवर को कुछ लोग पीट पीट कर मार रहे है क्या ये कृत्य किसी भी आंदोलन का हिस्सा हो सकते हैं । बहूत सारे प्रश्न है पर सबसे बड़ा प्रश्न ये है कि लाल किले पर झंडा फैराने से लेकर लखीमपुर खीरी तक जितनी भी हिंसक घटना हुई है । उन घटनाओं के कारण किसानों की सामाजिक छवि को काफी नुकसान हुआ है । सत्ता से आम जनता यही उम्मीद कर सकती है कि दोषी कोई भी हो परन्तु उपद्रव फैलाने वालों पर कठोर कारीवाहि होनी चाहिए एवम विपक्ष से भी ये उम्मीद की जा सकती है । कुछ भी ऐसा ना हो जिससे उपद्रव या हिंसक घटनाओं को बढ़ावा मिले । उत्तर प्रदेश ही नही पूरा भारत अब आंदोलन के नाम से डरने लगा है । समाज के जिम्मेदार व्यक्तयो व किसानों को कोई सकारात्मक निर्णय लेना चाहिए।

Show More

Related Articles

Close