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राष्ट्रीय

पूजा पाठ के लिए पहुंचे तो फिर डराने लगे आतंकी, मंत्रियों के दौरे और तालिबान से क्या है इसका कनेक्शन

कश्मीरी पंडितों की वापसी में खलल: पूजा पाठ के लिए पहुंचे तो फिर डराने लगे आतंकी, मंत्रियों के दौरे और तालिबान से क्या है इसका कनेक्शन

जम्मू-कश्मीर में आतंकियों का निर्दोष नागरिकों को शिकार बनाने का सिलसिला जारी है। आज श्रीनगर के ईदगाह इलाके में आतंकी हमले में प्रिंसिपल और टीचर की गोली मारकर हत्या कर दी गई। आतंकियों ने स्कूल में घुसकर यह हत्या की। पिछले पांच दिनों में सात नागरिकों की हत्या की जा चुकी है। कहा जा रहा है कि कश्मीरी पंडितों की घाटी में फिर से बसाने और उनकी संपत्तियों से कब्जा हटाने की कवायद के कारण ही आतंकी एक बार फिर उन्हें निशाने पर लेने लगे हैं।

केंद्र को चुनौती देने के समान

जम्मू-कश्मीर के हालत को समझने वाले जानकारों का कहना है कि 70 मंत्रियों के दौरे और गृह मंत्री अमित शाह के दौरे से पहले ऐसी घटनाओं का बढ़ना एक तरह से केंद्र सरकार को चुनौती देने के समान है। क्योंकि केंद्र सरकार का यह कहना है कि वह विकास के रास्ते जम्मू-कश्मीर में शांति और अमन-चैन की बहाली की कोशिश कर रही है और कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए उन्हें सुरक्षा देने के वादे कर रही है। जानकार यह भी मानते हैं कि कहीं न कहीं जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव में हो रही देरी से भी आतंकियों के हौसले बुलंद होने लगे हैं।

पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद यह शाह की पहली यात्रा है। मिली जानकारी के मुताबिक अमित शाह के दौरे से पहले 70 केंद्रीय मंत्री केंद्र शासित क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन मंत्रियों को निर्देश दिया है कि वे जनता में विश्वास बहाली के लिए दूर-दराज वाले इलाकों में जाएं और जनता से सीधा संपर्क साधे। मंत्रियों का यह दौरा सितंबर के महीने में शुरू हुआ था।

बताया जाता है कि इस दौरे के दौरान मंत्रियों को इस बात की भी जांच करनी है कि केंद्र में विकास से जुड़े कितने कार्य पूरे हुए हैं। वहीं शाह जम्मू और श्रीनगर की दो दिवसीय यात्रा के दौरान सुरक्षा स्थिति और विकास संबंधी परियोजनाओं की समीक्षा करेंगे। सूत्रों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर जाने वाले सभी मंत्रियों को गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को रिपोर्ट देनी होगी। पिछले साल जनवरी में 36 मंत्रियों ने राज्य का दौरा किया था।

मेजर जनरल ए जे बी जैनी (सेवानिवृत्त) का कहना है कि इस आतंकी हमले का सीधा सा कनेक्शन केंद्र सरकार को चुनौती देने जैसा है। राज्य को विशेष दर्जा देने वाले धारा 370 को खत्म करके सरकार ने जो उपलब्धि हासिल की, सीमा पार से होने वाले आतंक पर जिस तरह काबू पाया गया और अलगाववादियों की हिम्मत जिस तरह से टूटी है उस वजह से उनके अंदर एक छटपटाहट है, खासतौर पर कश्मीरी पंडितों के घाटी में लौटने की खबरों ने उन्हें बेचैन कर दिया है। इसलिए आंतकी संगठन गृह मंत्री के दौरे से पहले यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं उन्होंने अभी जम्मू-कश्मीर का चैप्टर बंद नहीं किया है।

तालिबान से भी हो सकता है तालमेल

वहीं मेजर जनरल एस वी पी सिंह (सेवानिवृत्त) को इन आतंकी हमलों के पीछे तालिबान का भी कुछ हाथ दिखता है। उनका कहना है कि अफगानिस्तान में तालिबान और हक्कानी ग्रूप शासन कर रहे हैं। इससे पाकिस्तान को शह मिल गई है और इसलिए देखने में आ रहा है कि कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाएं बढ़ी हैं। कुछ दिनों पहले एक आतंकी पकड़ा भी गया। जिससे कई इनपुट भी मिले हैं। बताया जा रहा है कि छह आतंकी और कल पकड़े गए हैं। इन सब बातों को जोड़कर देखकर ऐसा लग रहा है कि इन आतंकियों का तालिबान से तालमेल चल रहा है। इन हमलों में पाकिस्तान का जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा भी शामिल है।

उन्होंने बताया कि इस साल कश्मीर घाटी में 75 आतंकी घटनाएं हुई हैं, जिसमें से 15 16 श्रीनगर में ही हुए हैं। आतंकी जानबूझ कर श्रीनगर को टारगेट कर रहे हैं। आतंकियों में शिक्षित युवा भी शामिल हैं। वे इस तरह की घटनाओं को अंजाम देकर समाज को डराने की कोशिश कर रही है। आज जो घटना हुई है उसमें गैर मुस्लिम को लक्ष्य बनाया गया और वे ऐसा जानबूझ कर रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों को यह बेहद गंभीरता से लेनी चाहिए।

एस वी पी सिंह यह भी मानते हैं कि कश्मीरी पंडितों को घाटी में फिर से बसाने और नया कश्मीर बनाने की केंद्र सरकार की कोशिश के कारण भी आतंकी इस तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं।  2014 में जब से भाजपा की सरकार आई है तब से कश्मीर पंडितों को यह उम्मीद थी कि अब वे घर वापसी कर सकते हैं। उनकी यह उम्मीद और बढ़ गई जब अनुच्छेद 370 हटाया गया। सरकार उन्हें बसाने की कोशिश कर रही है जबकि आतंकी नहीं चाहते कि वे दोबारा बसें। वहीं वे कश्मीर में होने वाले विकास परियोजनाओं को देखकर भी बौखला रहे हैं कि यदि इससे राज्य में रोजगार बढ़ा तो आतंकियों को पनाह देने वाले कम हो जाएंगे।

 

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