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राष्ट्रीय

मौत के आरक्षण का राजनीतिकरण कब तक – दिव्य अग्रवाल

यूक्रेन में हुई नवीन की मृत्यु की चर्चा पूरे विश्व मे हुई परन्तु उस मृत्यु का कारण मात्र रूस एवम यूक्रेन का युद्ध ही नही अपितु हमारे संविधान का एक ऐसा कानून है जिसके निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर जी ने देश के आजाद होने के कुछ वर्षों पश्चात उस नियम कानून को खत्म करने की हिदायत भी थी । जी हाँ हम बात कर रहे हैं उस आरक्षण नियम की जिसके कारण 97% अंक प्राप्त करने के पश्चात भी विद्यार्थी को सरकारी विद्यालय में आरक्षण के कारण प्रवेश नही मिल पाता एवम निजी मेडिकल कालेजों का शुल्क इतना ज्यादा है जिस कारण विद्यार्थीयो को यूक्रेन जैसे आदि देशों में मेडिकल की पढ़ाई करने जाना पड़ता है । यदि आज आरक्षण न होता तो नवीन भी आज अपने देश मे ही होता ओर जीवित होता । भारत के अंदर प्रतिभाशाली विद्यर्थियों को उच्चतम अंक प्राप्त करने के पश्चात भी ना ही तो सरकारी शिक्षा संस्थानों में प्रवेश मिल पाता है ना ही नौकरियां मिल पाती है । कब तक आरक्षण की राजनिति में प्रतिभाशाली बच्चो की बलि चढ़ती रहेगी शायद इसका जवाब किसी के पास नही है । आरक्षण का आधार आर्थिक स्थिति के आधार पर मिलना चाहिए ना कि जाति के आधार पर । जिन लोगो को वास्तव में आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए वो लोग भी आरक्षण के अभाव में मर रहे हैं और जिन लोगो को आरक्षण के कारण उपयुक्त विकल्प नही मिल पाते वो लोग भी मर रहे हैं एवम जो लोग आरक्षण का लाभ लेकर पहले ही सामर्थवान बन चुके हैं उनकी पीढ़ियों के बच्चे सारे संसाधन होने के पश्चात भी किसी असहाय के लिए आरक्षण को छोड़ने को तैयार नही है ।

दिव्य अग्रवाल
दिव्य अग्रवाल(राष्ट्रवादी लेखक व विचारक, गाजियाबाद)

जिस तरह भारत सरकार आज विदेश में फसे भारतीय युवाओं के लिए चिंतित है ठीक उसी प्रकार इसका भी चिंतन होना आवश्यक है कि किन कारणों से भारत के प्रतिभाशाली युवाओं को अध्यन हेतु अपने देश व माता पिता से दूर जाना पड़ता है , पैसा खर्च करना पड़ता है, जीवन को दांव पर लगाना पड़ता है । मध्यमवर्गीय परिवार किस तरह अपने बच्चो को पढ़ाते हैं, अपना पेट काटकर उचतम शिक्षा के योग्य बनाते है पर उसके बाद भी उनके बच्चो के पास जीविका चलाने हेतु कोई विकल्प नही होता , कोई सरकारी मदद नही होती , आरम्भ से लेकर अंत तक सारा संघर्ष स्वम् ही करना पड़ता है । अब समय है की भेदभाव वाले आरक्षण को खत्म करके सबको बराबर अधिकार मिलना चाहिए । आरक्षण सिर्फ योग्य पात्रों को मिलना चाहिए । जातिगत आरक्षण बंद होना चाहिए । अन्यथा नवीन जैसे कितने ही उदहारण बीत चुके ओर भविष्य में भी देखने को मिलेंगे ।

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