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धर्म

निजी हित से प्रभावित गुरु द्रोणाचार्य की तरह, लोभित व् महत्वकांशी गुरुओ का पतन निश्चित – दिव्य अग्रवाल

गुरु पूर्णिमा पर असंख्य सनातनियो ने अपने गुरुजनो को नमन तो किया परन्तु क्या गुरुजन गुरु शिष्य परम्परा का निर्वहन कर रहे हैं । सनातन धर्म में गुरु का सम्मान श्रेष्ठ है अर्थात सनातन धर्म सर्व श्रेष्ठ है जिसमे गुरु शिष्य परम्परा को पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है,सनातन से ही गुरु है व् सनातन से ही गुरु पूर्णिमा पर शायद बहुत से गुरुजनो को यह बात विस्मरित हो चुकी है । सनातनियो की हत्याएं हो रही है मजहबी कटटरपंथियो से सनातनी बेटियाँ सुरक्षित नहीं है । एक मजहब अपने अतिरिक्त सभी को काफिर मानते हुए उनका पतन करने को प्रयासरत हैं और सनातनी धर्म गुरु स्वयं की आरती उतरवाने में , चंदा एकत्रित करने में अपने मठ मंदिरो के वैभव को बढ़ाने में लगे हुए हैं । नेताओ की भाँती सनातनी धर्म गुरु भी मजहबी कटटरपंथियो के अमानवीय कृत्यों का लाभ उठाकर हिन्दुओ के बीच स्वयं को श्रेष्ठ सिद्ध करने में लगे हुए हैं । साधुओ की हत्याएं हो या उनका उत्पीडन बड़े बड़े धर्म गुरु मात्र भाषणों , सभाओ या समागमों तक ही सिमित हैं । जिन मजहबी कटटरपंथियो का खतरा आज पुरे विश्व में बढ़ता जा रहा है जरा सनातनी धर्म गुरुओ को उनसे भी कुछ सीखना चाहिए की जिनसे उनका अस्तित्व है उनका संरक्षण कैसे किया जाता है । महिलाओ से नृत्य करवाना, भंडारे करवाना,चमत्कार की लालसा में लोगो को भृमित करने के स्थान पर सनातन शास्त्र ज्ञान को प्रत्येक सनातनी तक पहुंचाकर उन्हें अर्जुन की तरह धर्म रक्षा के लिए तैयार करना होगा अन्यथा विलक्षण पतिभा के धनी व् धर्म परयाण परन्तु व्यक्तिगत हित से प्रभावित गुरु द्रोणाचार्य की तरह, लोभित व् महत्वकांशी गुरुओ का पतन निश्चित है । यदि सनातन ही नहीं बचा तो क्या तो वैभव बचेगा , क्या मठ , क्या भोग और क्या व्यक्तिगत वर्चस्व।

दिव्य अग्रवाल!लेखक व विचारक)

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