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एक रूपया व एक ईट

एक रूपया व एक ईट:- अग्र -वैश्य समाज की गौरव गाथा , भाग 7

एक रूपया व एक ईट:- अग्र -वैश्य समाज की गौरव गाथा , भाग 7

अत्यधिक ईमानदारी से परिपूर्ण समाज

वैश्य जाति के लोग अपने कार्यों को बड़ी ईमानदारी के साथ सम्पन्न करते हैं। यदि कहीं पर लिखा मिल जायें कि “अग्रवाल भोजनालय”, तो केवल इस नाम को पढ़कर ही व्यक्ति के अन्दर यह भावना आ जायेगीं कि यह भोजनालय साफ-सुथरा तथा स्वादिष्ट होगा तथा इसके मालिक में ईमानदारी, पवित्रता और स्वच्छता होगी। कहीं कहीं हमें लिखा मिलता है कि “गुप्ता ज्वैलर्स”, इसे पढ़कर व्यक्ति यह महसूस करता है कि यह वैश्य जाति के लोगों की दुकान है। अतः यहाँ विश्वसनीय सामान ही मिलेगा।

उत्तर प्रदेश में श्री चन्द्रभानु गुप्त मुख्यमंत्री बनें। उन पर कोई व्यक्ति भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा सकता। उन्होंने अपनी वसीयत में लिखा कि “मैने अपना सारा जीवन एक फकीर की भाँति जिया। 11

श्री रामप्रकाश गुप्ता को मुख्यमन्त्री के पद से उनकी अत्यधिक ईमानदारी के कारण ही, दीवाली के दिन हटा दिया गया। जब बी0जे0पी0 की हाई कमान से उनके हटाये जाने का कारण अखबार वालों ने पूछा, तो उन्हें बताया गया कि “इतनी ईमानदारी अब राजनीति में नहीं चल सकती।’ लेकिन मेरा कहना है कि यदि ऐसी ईमानदारी देश के सभी राजनीतिज्ञों में आ जाए, तो इस देश की दिशा व दशा दोनों ही बदल सकती है तथा यह राष्ट्र परम वैभवशाली बन सकता है।

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