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साहित्य उपवन

नाराज ना हो भाईजान भले ही जाए अपनो की जान

नाराज ना हो भाईजान भले ही जाए अपनो की जान -दिव्य अग्रवाल

देश की जनता इतनी संवेदनहीन हो चुकी है इसकी कल्पना भी करना कल्पना से बहूत दूर है । कश्मीर में धर्म देखकर लोगो को इस आधुनिक युग मे मारा जा रहा है पर देश के लोग अभी भी इसको आतंकवादी घटना साबित करने में लगे हुए हैं । दिल्ली के दंगे रहे हो या मेवात , पश्चिम बंगाल हो या केरल , बंगलादेश हो या पाकिस्तान हर जगह धर्म के आधार पर गैर मुस्लिमो को टारगेट किया जा रहा है और हम अभी तक सिर्फ आतंकवाद पर चर्चा कर रहे हैं ।

दिव्य अग्रवाल
दिव्य अग्रवाल

अमानवीयता एवम संवेदनहीनता तो देखिए साहब , वो लोग धर्म के आधार पर मासूम लोगो की जान ले रहे हैं एवम हम लोग जो अभी तक सुरक्षित स्थानों पर निवास कर रहे हैं । इस कटरपंथी रैडिकल जिहाद का विरोध भी नही करना चाहते । क्योंकि हमारा सम्बन्धी भाईजान कहीं बुरा ना मान जाए । साहब जरा अनुभव कीजिए जब कुछ कटरपंथी घर की महिलाओं के साथ बलात्कार करते होंगे , उनके परिवार के लोगो को मारते होंगे तब पीड़ित व्यक्ति कैसे जीवित रहता होगा । जिस सुरक्षा के माहौल में हम हमने परिवार को सुरक्षित समझते है कभी वो लोग जो धर्म के आधार पर मारे जा रहे हैं उन्होंने भी तो कभी अपने परिवार को सुरक्षित समझा होगा । क्या सारा दोषारोपण सरकार पर मढ़ना उचित है । जब हम खुद नीरस , लालची , लोभी , हो चुके है तो कौन बचा सकता है हमे । देश हो या विदेश हर जगह रैडिकल जिहाद का शिकार गैर मुस्लिमो को बनाया जा रहा है । इन सब घटनाओ व लोगो की संवेदनहीनता को देखते हुए तो एक प्रश्न यह भी उठता है कि क्या आजाद भारत में मानवता अपनी आजादी के 100 वर्ष भी पूर्ण कर पायेगी या नही ।

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