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राष्ट्रीय

जम्मू राजौरी की मज्जिद व दिल्ली की विधानसभा में क्यों उठी एक जैसी आवाज

जम्मू राजौरी की मज्जिद व दिल्ली की विधानसभा में क्यों उठी एक जैसी आवाज - दिव्य अग्रवाल

दिल्ली की विधानसभा में हतप्रभ करने वाला विषय देश के समक्ष आया। दिल्ली के मुख्यमंत्री विधानसभा में देश के प्रधानमंत्री के विरुद्ध एक फिल्म को लेकर बयान दे रहे थे ।जिस कश्मीर फाइल का विरोध दिल्ली के मुख्यमंत्री कर रहे हैं उसका विरोध भारत के बहूत से कटरपंथी मौलाना भी कर रहे हैं। जम्मू कश्मीर के मौलाना फारूक

नक्शबंदी ने कश्मीर फ़ाइल पर पाबंदी की मांग के साथ यहाँ तक कह दिया कि हमारी कौम ने 800 वर्ष राज किया है और हम कलमा पढ़ने वालों का नही बल्कि तुम्हारा नामोनिशान मिट जाएगा । इस आधुनिक भारत मे भी कटरपंथी मौलाना किन लोगों के दम पर इस तरह के बयान दे रहे हैं ये विचारणीय हैं। किसी राजनेता या राजनीतिक दल के विरुद्ध संसदीय भाषा मे बोलना कोई गलत बात नही है परन्तु लोगो की संवेदनाओं व भावनाओ का मजाक उड़ाना पूर्णतः अनुचित है । कश्मीर फाइल फिल्म पर दिल्ली विधानसभा में हास्यास्पद अंदाज में चर्चा की

गयी । जबकि यह कोई फिल्म नही अपितु वो सत्य घटना है जिसमें हिन्दुओ का बर्बर नरसंघार हुआ । मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी के ठीक पीछे बैठी माननीया विधायक श्रीमती राखी बिड़ला जी जिस प्रकार हँस रही हैं क्या उन्हें अंदाजा भी है कि वो एक फिल्म पर नही अपितु उन महिलाओं की दुर्दशा पर हँस रही है जिनका सामूहिक बलात्कार करके निर्मम हत्या कर दी गयी । विधानसभा के पवित्र मन्दिर में जिस तरह अमानवीय घटना का मजाक बनाया गया इसका मूल कारण क्या है । क्या कुछ नेता इतने लालची हो गए है जो वोट बैंक के लालच में सब कुछ नकारने को तैयार है । यदि कुछ क्षण के लिए यह मान भी लिया जाए कि केजरीवाल जी को कश्मीरी हिन्दुओ से नही अपितु विवेक अघनिहोत्री से आपत्ति है।

दिव्य अग्रवाल
दिव्य अग्रवाल(राष्ट्रवादी लेखक व विचारक, गाजियाबाद)

तब भी यह विचारणीय है कि केजरीवाल जी ने कश्मीरी हिन्दुओ के साथ हुए नरसंघार पर संवेदना से भरे हुए दो शब्द भी विधानसभा में नही बोले । इससे भी दुखद की एक महिला होते हुए भी राखी बिड़ला जी उस पीड़ा व दर्द को नही समझ पायी जो कश्मीरी हिन्दू महिलाओ ने झेला । वास्तविकता है दुसरो की पीड़ा का अहसास बहूत कम लोगो को होता है क्योंकि राजनीतिक लाभ व लालच जो आड़े आ जाता है । आज हिन्दू समाज ये कल्पना कर सकता है कि इस आधुनिकता के युग मे भी देश की राजधानी दिल्ली की विधानसभा से जब हिन्दुओ के नरसंघार का मजाक बनाया जा सकता है तो 32 वर्ष पूर्व क्या स्थिति रही होगी।

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