[ia_covid19 type="table" loop="5" theme="dark" area="IN" title="India"]
अंतर्राष्ट्रीयराष्ट्रीय

पाकिस्तान के बाद चीन ने भी ठुकरा दिया भारत का ये ऑफर

पाकिस्तान के बाद चीन ने भी ठुकरा दिया भारत का ये ऑफर

भारत में अफगानिस्तान को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) की स्तरीय बैठक होने जा रही है जिसमें कई देशों के भाग लेने की संभावना हैं. हालांकि कुछ समय पहले पाकिस्तान ने इस मीटिंग में भाग लेने से मना कर दिया था. पाकिस्तान के बाद अब रिपोर्ट्स हैं कि चीन भी इस बैठक में शामिल होने से मना कर चुका है.

चीन ने इस बैठक में शामिल ना होने की वजह इस मीटिंग का समय बताया है. 10 नवंबर को होने वाली इस बैठक में अलग-अलग देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हिस्सा लेंगे. इंडियन एक्सप्रेस ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से ये बात कही है. इस रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले सितंबर 2018 और दिसंबर 2019 में ऐसी दो मीटिंग ईरान में हो चुकी हैं और तीसरी मीटिंग को भारत में होना था लेकिन कोरोना महामारी के कारण ऐसा नहीं हो पाया था.

अफगानिस्तान से जुड़े कई मुद्दों पर होगी बात

बता दें कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे और रूस, ईरान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान इस बैठक में हिस्सा लेने वाले हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मीटिंग में अफगानिस्तान के कई मुद्दों को लेकर चर्चा की जाएगी. तालिबान के कब्जे से पैदा हुई चुनौतियां, ड्रग्स उत्पादन, अफगानिस्तान की धरती पर आतंकवाद और कट्टरता और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे तमाम मुद्दों को लेकर इस बैठक में बात की जाएगी.

गौरतलब है कि पाकिस्तान पहले ही इस बैठक में शामिल होने से इनकार कर चुका है. पाकिस्तान के एनएसए मोईद युसूफ ने कहा था कि वो अफगानिस्तान पर भारत में होने वाली बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे. उन्होंने कहा था कि मैं भारत नहीं जाऊंगा क्योंकि स्थितियां बिगाड़ने वाला शांति स्थापित नहीं कर सकता है.

मोईद ने कहा था कि पिछले चार दशकों से अफगानिस्तान में चल रहे युद्ध ने पाकिस्तान को भी सीधा नुकसान पहुंचाया है. अफगानिस्तान में युद्ध के चलते पाकिस्तान के 80,000 लोगों की जानें गई हैं. इसके अलावा पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को 150 बिलियन डॉलर्स का नुकसान हुआ है. ये पाकिस्तान के लिए राजनीतिक मामला नहीं है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और मानवीय चिंता का मुद्दा है. पाकिस्तान के लिए अफगानिस्तान के साथ जुड़ने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है. युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में मानवीय संकट को टालने के लिए तालिबान शासन के साथ रचनात्मक जुड़ाव की जरूरत है. काबुल के साथ अगर दुनिया जुड़ने में नाकाम रहती है तो इसके परिणास्वरूप गंभीर मानवीय संकट पैदा हो सकते हैं.

बता दें कि पाकिस्तान ने सितंबर में और अक्टूबर में ईरान ने भी एक ऐसा ही सम्मेलन आयोजित किया था. हालांकि, भारत को इस सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किया गया था. लेकिन भारत ने अपने क्षेत्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए मोईद को भी निमंत्रण दिया था. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भी इसकी पुष्टि की थी. वहीं पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता असीम इफ्तिखार ने आलोचनात्मक लहजे में कहा था कि भारत नई दिल्ली में आगामी सम्मेलन के जरिए अफगानिस्तान में अपनी प्रासंगिकता तलाशने की कोशिश कर रहा है.

Show More

Related Articles

Close