[ia_covid19 type="table" loop="5" theme="dark" area="IN" title="India"]
उत्तर प्रदेश

यूपी: इस गांव की डेढ़ दर्जन बहुएं ससुराल छोड़कर चली गईं मायके, वजह हैरान कर देगी

यूपी: इस गांव की डेढ़ दर्जन बहुएं ससुराल छोड़कर चली गईं मायके, वजह हैरान कर देगी

वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश राज्य का कुशीनगर जनपद ओडीएफ (खुले में शौच से मुक्त) घोषित कर दिया गया लेकिन जमीनी हकीकत सरकारी दावे से कोसों दूर है. शौचालय नहीं होने से जंगल जगदीशपुर टोला भरपटिया में लगभग डेढ़ दर्जन बहुएं ससुराल छोड़कर मायके चली गयीं हैं. दुल्हनों का कहना है कि शौचालय के बगैर उन्हें काफी दिक्कत हो रही थी. दुल्हनों का कहना है कि जबतक ससुराल में शौचालय नहीं बन जाता है तबतक मायके में ही रहेगी. ‘घुंघट’ की इस बगावत ने स्वच्छ भारत मिशन की सारी पोल खोलकर रख दी है.

जानकारी के मुताबिक, जिले के साथ ही जंगल जगदीशपुर गांव भी ओडीएफ हुआ था लेकिन इस गांव के टोला भरपटिया के अधिकतर गरीबों के पास आज भी शौचालय नहीं है. गांव के ग्राम प्रधान और जिला पंचायतराज अधिकारी एमआईएस और सूची का हवाला दे रहे हैं लेकिन सवाल ये है कि किन परिस्थितियों में इन गरीबों का नाम सूची में नहीं शामिल हुआ है इसका जबाब किसी के पास नहीं है.

स्वच्छ भारत मिशन के तहत कुशीनगर जनपद में तकरीबन 4 लाख शौचालय बनने थे. कुशीनगर जनपद को 30 नवंबर 2018 को ओडीएफ घोषित कर दिया गया. ओडीएफ मतलब सभी शौचालयों का निर्माण शत प्रतिशत करा दिया गया है. परंतु इस सरकारी दावे पर से पडरौना विकास खंड के जंगल जगदीशपुर टोला भरपटिया की लगभग डेढ़ दर्जन बहुओं ने पर्दा हटा दिया है. भरपटिया टोले की यह बहुएं ससुराल छोड़कर मायके इसलिए चली गईं है क्योंकि घर में शौचालय नहीं है और उन्हें नित्य जरूरत के लिये तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था.

शौचालय निर्माण का सच सामने लाने वाली इन बहुओं का कहना है कि गांव के एक तरफ नाला है तो दूसरी तरफ नहर. चारों तरफ पानी लगता है. जिससे बहुत दिक्कतें आती हैं. जबतक ससुराल में शौचालय नहीं बन जाता है तबतक मायके में ही रहेंगी. बता दें कि टोला भरपटिया की आबादी तकरीबन 1000 है और यहां गरीब तपके के लोग निवास करते हैं. गरीबों की बस्ती होने के बाद भी अधिकतर के पास शौचालय नहीं है.

जिला पंचायतराज अधिकारी राघवेंद्र द्विवेदी और ग्राम प्रधान दोनों का कहना है जितने लोगों का एमआईएस हुआ था और जितने लोगों का नाम सूची में था, सबका शौचालय बन गया है. लेकिन सच्चाई यह है कि एमआईएस कराने की जिम्मेदारी भी ग्राम प्रधान, ब्लॉक और डीपीआरओ के ही कंधों पर होती है. सूची भी इन्हीं की देखरख में बनी है.

मायके गई गांव की बहू रीना का कहना है कि हमारे ससुराल में शौचालय नहीं बना है जिसके कारण दिक्कत हो रही थी इसलिए मायके चले आएं हैं. शौचालय बन जायेगा तो ससुराल चले जायेंगे. वहीं, मायके गई बहू ज्योति का कहना है कि ससुराल में शौचालय न होने के कारण मायके आई हूं. शौचालय बनेगा तो वापस जाऊंगी नहीं बनेगा तो नहीं जाऊंगी.

जिला पंचायत अधिकारी राघवेंद्र द्विवेदी का कहना है कि जानकारी मिलने के बाद गांव में पहुंचकर जांच की तो दो बहुएं नार्मल तरीके से मायके गई हैं. हां, कह सकते हैं कि उनके पास शौचालय नहीं था. कुछ गांववालों का लाइन सर्वे में नाम न होने के कारण उनका शौचालय नहीं बन पाया था.

 

Show More

Related Articles

Close