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एक रूपया व एक ईट

एक रूपया व एक ईट:- अग्र -वैश्य समाज की गौरव गाथा , भाग 12

एक रूपया व एक ईट:- अग्र -वैश्य समाज की गौरव गाथा , भाग 12

7. वैश्य जाति प्रगतिवादी है, अंधविश्वासवादी नहीं

वैश्य जाति वस्तुत: प्रगतिवादी है तथा अंधविश्वास की विरोधी है। वैश्य जाति ने हमेशा रूढ़िवाद, पोगापन्थ तथा कर्मकाण्ड का विरोध किया है। उसने सदैव मृत्युभोज तथा अवैज्ञानिक परम्पराओं का विरोध किया है। वैश्य जाति के लोगों ने धर्म को, विज्ञान पर आधारित बनाया। महावीर स्वामी ने जैन धर्म के द्वारा कर्मकाण्ड और पाखण्ड का विरोध किया था। इसीलिए वैश्य समाज के बहुत से लोगों ने जैन धर्म को अपनाया वैश्य जाति के लोगों ने सदैव हो सत्य का आचरण करने पर बल दिया तथा कर्मकाण्ड और अंधविश्वास का विरोध किया। उनका व्यापार भी सत्य और शुचिता पर आधारित होता है। वैश्य जाति के लोगों ने जितना व्यापार में शुचिता, पवित्रता और सत्यता को स्थान दिया है, उतना और किसी जाति ने नहीं दिया। इसी शुचिता, पवित्रता और सत्यता के पक्षधर होने के कारण वैश्य जाति ने व्यापार में भी उन्नति की है तथा अपनी साख पूरे विश्व में फैलाई है। इसी कारण वैश्य जाति के प्रतिष्ठान पूरे विश्व में फैले हुए है।

विश्व में श्री कृष्ण ने सबसे पहले यह अवधारणा प्रस्तुत की थी कि बिना कर्मकाण्ड के भी व्यक्ति भक्तियोग, कर्मयोग और ज्ञानयोग के द्वारा मोक्ष प्राप्त कर सकता है। उन्होंने तामसी प्रवृत्ति के लोगों को भक्तियोग की शिक्षा दी और राजसी प्रवृत्ति के व्यक्तियों को बताया कि वे कर्मयोग के द्वारा मोक्ष प्राप्त कर सकते है, तथा सात्विक लोगों को ज्ञानयोग के द्वारा मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बतलाया। सम्पूर्ण समाज के लिए, उन्होंने रास्ता बतलाया जो जिसे अच्छा लगे, अपनाकर मोक्ष प्राप्त कर सकता है। वैश्य जाति के लोगों ने अंधविश्वास, पोगापन्थ तथा कर्मकाण्ड को छोड़कर कर्मयोग के सिद्धान्त को अपनाया तथा सच्चे कर्मयोगी बने। उन्होंने कर्म को ही पूजा माना तथा कर्म को ही भगवान माना। इसलिए कर्म के द्वारा सम्पूर्ण विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान कायम की एवं यश अर्जित किया। भगवान श्री कृष्ण के बाद गांधी जी ने भी कर्मवाद के सिद्धान्त को आगे बढ़ाया और अंग्रेजी साम्राज्य, जिसके राज्य में सूरज नहीं डूबता था, उनमे भी टक्कर लो। गांधी जी ने कभी भी पोगापन्य, अंधविश्वास पाखण्डवाद का समर्थन नहीं किया। इसीलिए उन्होंने छुआ-छूत को समाप्त कराया। मन्दिरों के कपाट हरिजनों के लिए खुलवाए तथा हरिजनों को मन्दिरों में प्रवेश कराया। वस्तुत: गांधी जी के विचार प्रगतिवादी थे। इसीलिए उन्होंने सम्पूर्ण देश का दौरा करके सम्पूर्ण देश को एक सूत्र में बाँध दिया था। उन्हीं के प्रयासों के कारण हम आजाद हुए।

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