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Omicron की रफ्तार बढ़ा रही दिल की धड़कन लेकिन वैज्ञानिक क्यों मान रहे नए वैरिएंट को अच्छी खबर

कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से पूरी दुनिया में एक बार फिर से हाहाकार मच गया है. ओमिक्रॉन को लेकर लगातार नई-नई स्टडीज सामने आ रही हैं और वैज्ञानिक भी डेटा के आधार पर तमाम संभावनाओं और आशंकाओं के बारे में बात कर रहे हैं. कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि नए वैरिएंट के मामले भले ही बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन अस्पतालों में कोविड मरीजों के गंभीर मामले बढ़ते नहीं दिख रहे हैं. यह डेटा महामारी के कम चिंताजनक चरण में पहुंचने का संकेत है.

बता दें कि भारत में ओमिक्रॉन वैरिएंट के मामले बढ़कर 2,000 के पार पहुंच चुके हैं. ओमिक्रॉन की रफ्तार को देखते हुए कई राज्यों में पाबंदियां भी लगाई जा चुकी हैं.

वैज्ञानिकों को दिखी उम्मीद

कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की इम्यूनोलॉजिस्ट मोनिका गांधी ने कहा, ‘यह वायरस अब हमेशा के लिए हमारे साथ रहने वाला है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि यह नया वैरिएंट हमारी इम्यूनिटी को इतना बढ़ा देगा कि महामारी धीरे-धीरे दब जाएगी.’ कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट करीब एक महीने पहले दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था. पिछले सप्ताह का डेटा बताता है कि नया वैरिएंट वाइडस्प्रेड इम्यूनिटी और कई प्रकार के म्यूटेशन के कॉम्बिनेशन का परिणाम है. यह पिछले वैरिएंट्स की तुलना में कम घातक है.

WHO हेल्थ इमरजेंसी प्रोग्राम के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. माइक रियान ने खुद एक ट्वीट में कहा, ‘महामारी का वो घातक चरण जो लोगों की मौत और हॉस्पिटलाइजेशन से जुड़ा है, 2022 में समाप्त हो सकता है. वायरस के पूरी तरह से दूर जाने की संभावना बहुत कम है और यह संक्रमण के एक पैटर्न के रूप में यहीं बस सकता है. हमें अपनी रणनीतियों पर ध्यान देने की जरूरत है. शुरुआती डेटा में हम जो कुछ देख रहे हैं, उसके आधार पर हमें अपनी रणनीति में बदलाव पर ध्यान देने की जरूरत है. नया वैरिएंट घातक भी हो सकता है और नहीं भी. ये ज्यादा संक्रामक हो सकता है और नहीं भी. हमें देखना होगा कि हमारी वैक्सीन काम कर रही हैं या नहीं. बड़े स्तर पर लोगों के पलायन को रोककर कोविड-19 संक्रमण की रफ्तार कम की जा सकती है.’

अस्पताल में डेल्टा से 73% कम मामले

दक्षिण अफ्रीका में हुई एक स्टडी बताती है कि देश में ओमिक्रॉन से आई चौथी लहर के दौरान अस्पतालों में एडमिट मरीजों की संख्या डेल्टा की तीसरी लहर के मुकाबले 73 प्रतिशत कम हो सकती है. यूनिवर्सिटी ऑफ केपटाउन की इम्यूनोलॉजिस्ट वैंडी बर्गर कहती हैं, ‘ओमिक्रॉन के मामले और अस्पतालों में मरीजों की संख्या को अलग करने वाला डेटा काफी ठोस है.’

शुरुआत से ही एक्सपर्ट नए वैरिएंट में म्यूटेशन की बड़ी संख्या को लेकर चिंतित थे. शुरुआती डेटा बताता है कि ये म्यूटेशन वायरस को न सिर्फ वैक्सीनेट लोगों को आसानी से संक्रमित करने देता है, बल्कि पिछले इंफेक्शन और वैक्सीन से बने एंटीबॉडी रिस्पॉन्स को भी चकम दे सकता है.

क्यों घातक नहीं है ओमिक्रॉन?

लेकिन लोगों के जेहन में अभी भी एक सवाल है कि पहली डिफेंस लाइन से आगे निकल जाने के बाद ओमिक्रॉन का प्रदर्शन कैसा होगा. दरअसल कोरोना के पिछले वैरिएंट्स के मुकाबले ओमिक्रॉन के कम गंभीर या घातक होने के कई कारक हैं. इसमें वायरस की फेफड़ों को संक्रमित करने की क्षमता भी शामिल है. आमतौर पर कोविड इंफेक्शन नाक से शुरू होता है और नीचे गले में फैलता है. एक हल्का इंफेक्शन ‘अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट’ से आगे नहीं पहुंच पाता है. वायरस के फेफड़ों में पहुंचने के बाद ही गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं.

पिछले सप्ताह सामने आई पांच अलग-अलग स्टडीज ये बताती हैं कि ओमिक्रॉन पिछले वैरिएंट्स की तरह फेफड़ों को आसानी से संक्रमित नहीं करता है. जापानी और अमेरिकी वैज्ञानिकों के एक बड़े संघ द्वारा ऑनलाइन प्री-प्रिंट के रूप में जारी स्टडी के मुताबिक, ओमिक्रॉन से संक्रमित किए गए चूहों के फेफड़ों में डैमेज और मौत का खतरा पिछले वैरिएंट्स के मुकाबले लगभग ना के बराबर था.

ये वैरिएंट घातक हो या नहीं, दुनिया भर के हेल्थ एक्सपर्ट कोविड गाइडलाइंस का पालन करने की बात कह रहे हैं. उनका कहना है कि भले ही डेटा में ओमिक्रॉन से मृत्यु दर कम हो लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इससे एक भी मौत नहीं हुई है. समझदारी इसी में है कि हम संयम के साथ महामारी के इस नए खतरे का भी सामना करें और अपना सुरक्षा कवच कमजोर ना पड़ने दें.

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