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बलिया

ऐतिहासिक रामशाला परिसर की चारदीवारी ध्वस्त

चितबड़ागांव (बलिया):- स्थानीय नगर पंचायत स्थित ऐतिहासिक रामशाला परिसर की चारदीवारी ध्वस्त हो गया है।

कस्बा स्थित ऐतिहासिक रामशाला के अंदर स्थापित कई दशक पूर्व हरलाल साहब, गुलाल साहब, भीखा साहब की समाधि स्थापित की गई थी। स्थापित समाधियों की मान्यता है कि बिगड़े हुए काम भी बन जाते हैं । दरअसल बताया जाता है कि उक्त परिसर स्थित खजुहटिया पोखरा जिसमें स्नान करने से विभिन्न प्रकार की उत्पन्न बीमारियां सही हो जाती हैं जिसकी मान्यता को देखते हुए पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष स्वः आदित्य नारायण उर्फ कनकन द्वारा उक्त पोखरे का नाम बदल कर राम सरोवर घाट कर दिया गया जिसकी चारदीवारी दक्षिण दिशा से बिल्कुल ध्वस्त हो चुका है।

वहीं समाधि स्थल के पीछे का मुख्य चार दिवारी भी बिल्कुल गिरकर ध्वस्त हो गया है। वार्ता के दौरान रामबाबू सिंह ने बताया कि विगत कई वर्षों से ऐतिहासिक रामशाला जैसे पवित्र स्थल पर किसी भी जनप्रतिनिधि का ध्यान आकर्षित नहीं हो पा रहा है ना ही किसी के द्वारा किसी प्रकार की रखरखाव किया जा रहा है जो वास्तव में बहुत ही अशोभनीय बात है। वार्ता के दौरान श्री सिंह ने बताया कि प्रतिवर्ष महिलाओं द्वारा छठ पर्व का भी आयोजन किया जाता है साथ ही देव दीपावली की भी आयोजन की जाती है मगर विगत दो वर्षों से किसी भी जनप्रतिनिधि, मंत्री, विधायक ,सांसद तथा नगर पंचायत अध्यक्ष द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है इससे साफ साबित होता है कि आस्था का प्रतीक ऐतिहासिक रामशाला परिसर में स्थापित हरलाल साहब, गुलाल साहब, भीखा साहब से भी किसी की आस्था नहीं रह गया है जो सोचने पर मजबूर करने वाली बात है। नगर पंचायत चितबड़ागांव कुल 52 गांव का मौजा माना जाता है जहां पर कहीं भी किसी भी तरह का मांसाहारी चीजों जैसे मछली ,अंडे का क्रय विक्रय नहीं किया जाता है जिसकी प्रशंसा उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में भी की जाती है। अहम सवाल यह है कि नगर पंचायत चितबड़ागांव के अंदर ऐतिहासिक बरैया पोखरा ,तेलिया पोखरा, चितेश्वर नाथ धाम,ब्रह्मी बाबा, माधव ब्रह्म बाबा और ऊदल ब्रह्म बाबा कामेश्वर धाम जैसे पवित्र आस्था का पवित्र स्थल विराजमान है ।जहां पर नजदीकी जनपद सहित देश विदेश के भी पर्यटक आते और जाते हैं। मगर अफसोस इस बात की है कि इतना दर्शनीय स्थल होने के बावजूद भी किसी भी जनप्रतिनिधि, मंत्री, विधायक, सांसद ,नगर पंचायत अध्यक्ष सहित विभिन्न राजनेताओं का ध्यान आकृष्ट नहीं हो पा रहा है ।जो वास्तव में बहुत ही सोचनीय तथा विचारणीय बात है।

रिपोर्ट- संजय राय

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