अपराध
कुणाल अपहरण और हत्याकांड:पुलिस नकारती रही, अपहर्ताओं ने दिखाया आईना
राजेश बैरागी( वरिष्ठ पत्रकार)
गौतम बुध नगर कबाड़ माफिया रवि काना और उसकी महिला मित्र को थाईलैंड से ढूंढ निकालने वाली गौतमबुद्धनगर कमिश्नरेट पुलिस चार दिन पहले नाक के नीचे से अपहरण किए गए 15 वर्षीय कुणाल को जिंदा खोज पाने में नाकाम रही।आज रविवार सुबह कुणाल का शव बुलंदशहर की देहात कोतवाली अंतर्गत एक नहर से बरामद हुआ।उसका गत एक मई को दिनदहाड़े उस समय अपहरण कर लिया गया था जब वह अपने पिता के थाना बीटा 2 अंतर्गत एच्छर गांव स्थित शिवा ढाबे पर बैठा था। नामजद रिपोर्ट के बावजूद थाना पुलिस और उच्चाधिकारी कुणाल को अपहरण किए जाने की थ्योरी को नकारते रहे। ठीक तीन महीने पहले बिलासपुर कस्बे के व्यापारी पुत्र वैभव सिंघल का भी लगभग इसी अंदाज में अपहरण करने के बाद हत्या कर दी गई थी।उसका शव भी 11वें दिन चचूरा गांव से गुजर रही नहर से बरामद हुआ था। पुलिस का रवैया तब भी कमोबेश ऐसा ही था। कुणाल के पिता ने मीडिया के कैमरों के समक्ष आरोप लगाया है कि जिन लोगों ने उनकी पत्नी को मारा था, उन्होंने ही उनके पुत्र की हत्या की है। आरोपित लोगों और कुणाल के पिता के बीच लाखों रुपए का लेन-देन तथा ढाबे को बंद कराने की साज़िश की बात भी इस हत्याकांड में जोड़ी जा रही है।सच क्या है और शव मिलने से पहले चार दिनों तक कुणाल को कहां रखा गया था? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण हैं कि शव मिलने के साथ ही कमिश्नरेट पुलिस के नंबर दो शीर्ष अधिकारी शिवहरि मीना ने बयान दिया कि हत्याकांड के संबंध में पुलिस को महत्वपूर्ण जानकारी मिल चुकी है। तो क्या पुलिस किसी अनहोनी की प्रतीक्षा में उस जानकारी को लेकर बैठी रही? वैभव सिंघल हत्याकांड में भी व्यापारियों और लखनऊ के वैश्य समाज के एक भाजपा विधायक का दबाव बढ़ने पर ही उसका शव बरामद हुआ था। हालांकि वैभव सिंघल हत्याकांड में लापरवाही बरतने वाले किसी पुलिसकर्मी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। ऐसा ही इस बार भी हो तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। आश्चर्य तो सत्तापक्ष के उन नेताओं पर भी नहीं होना चाहिए जो इन नृशंस हत्याकांडों पर चुप हैं परंतु मोदी के विकास और योगी की कठोर कानून व्यवस्था के नाम पर यहां से लखनऊ और दूसरे राज्यों तक में वोट मांगने निकले हुए हैं,
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