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Bulandshahrधर्म

शिवरात्रि विशेष- यूपी के इस मंदिर में चालीस दिन लगातार जलाभिषेक करने पर मनचाही मुराद पूरी होती है

औरंगाबाद के प्राचीन नागेश्वर मंदिर में चालीस दिन लगातार जलाभिषेक करने पर मनचाही मुराद पूरी होती है

औरंगाबाद कस्बा जिला बुलंद शहर स्थित प्राचीन नागेश्वर शिव मंदिर जन जन की आस्था का केंद्र बना हुआ है.कस्बे के अलावा दूर दूर से लोग यहाँ मंदिर के दर्शन पूजा अर्चना करने आते हैं और मान्यता के अनुसार अपनी मनचाही मुराद पूरी करते हैं.

मंदिर प्रांगण स्थित शिवलिंग पर ऊं स्वत: प्रगट है. तथा शिवलिंग स्वत: रंग बदलता है. श्रृद्धालु जनों के अनुसार यहाँ शिवलिंग के ईर्दगिर्द स्वयं नाग देवता निवास करते हैं. नित्य पूजा अर्चना करने वाले लोगों का कहना है कि उन्होंने अनेक बार नागराज के प्रत्यक्ष दर्शन किये हैं वो आते हैं ना जाने कहाँ से और देखते ही देखते अदृश्य हो जाते हैं ना आने का पता चलता है कि कहाँ से आये और ना जाने का कि कहाँ चले गए.

लोगों के कथन पर अविश्वास का कोई कारण नहीं है क्योंकि कुछ माह पूर्व प्रातःकालीन बेला में पूजा अर्चना करने शिवालय के अंदर नितिन गर्ग का पैर अचानक सर्प देवता पर पड़ा और नाराज होकर उन्होंने नितिन को डस लिया था. हांलाकि उपचार के पश्चात दो तीन घंटे बाद वह स्वस्थ हो गये थे.

मंदिर का निर्माण कब हुआ किसने कराया यह तो ठीक ठीक नहीं कहा जा सकता लेकिन अति प्राचीन मंदिर है.इस मंदिर में स्वामी कृष्णानंद सरस्वती, अंतर्राष्ट्रीय रामायणी विद्वान आचार्य रामचंद्र पांडे जी महाराज अक्सर आते रहे थे और यहाँ की पौराणिक मान्यताओं और शक्ति पीठ की पुष्टि करते रहे हैं.

विगत एक दशक से भी अधिक समय से यहाँ श्रृद्धालु जनों द्वारा बाबा दुर्गेश कुमार गर्ग के नेतृत्व में पवित्र नदियों का गंगा जल गौमुख, हरिद्वार, बृज घाट आदि से कांवड़ पदयात्रा के माध्यम से लाकर अपने अराध्य भोले बाबा का जलाभिषेक किया जाता है. आस पास के ग्रामीण क्षेत्र से भी काफी लोग यहाँ कांवड़ चढाने के लिए आते हैं. कांवड़ यात्रियों के लिए भोजन विश्राम आदि की समुचित व्यवस्था मंदिर कमेटी द्वारा की जाती है जिसमें नगर वासियों का भरपूर सहयोग मिलता है.

मंदिर परिसर में मां दुर्गा, गंगा मंदिर, हनुमान दरबार, शिवालय, राम दरबार, गणेश मंदिर, काली माँ मंदिर, शनि महाराज नवग्रह मंदिर, राधाकृष्ण मंदिर सरस्वती मंदिर व दर्शनीय सत्संग भवन भी मौजूद हैं. प्राचीन शिवालय को मंदिर कमेटी ने नगर के दानदाताओं के सहयोग से नवीन आकर्षक स्वरूप दिया है जिसके चलते मंदिर की शोभा में और अधिक वृद्धि हुई है.

मंदिर परिसर के पीछे रामलीला अभिनय का मंचन प्रत्येक वर्ष कराया जाता है साथ ही मंदिर के नजदीक शीतला माता का भव्य मंदिर है जहाँ बूढ़े बाबा की दौज पर मेले का आयोजन किया जाता है.मान्यता है कि यहाँ दौज के तालाब की मिट्टी लगाने से चर्मरोग ठीक होते हैं.

मंदिर के महंत कुलदीप शास्त्री ने बताया कि जो भी श्रृद्धालु यहाँ सच्चे मन से आता और दर्शन करता है उसकी मनोकामना भोले नाथ अवश्य पूर्ण करते हैं.

औरंगाबाद से राजेन्द्र अग्रवाल

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