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एक रूपया व एक ईट

एक रूपया व एक ईट:- अग्र -वैश्य समाज की गौरव गाथा , भाग 26

…….विकसित करने के लिए कार्य आरम्भ किया जाये।

अग्रोहा विकास ट्रस्ट की स्थापना

अग्रोहा को तीर्थ के रूप में विकसित करने के लिए अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन ने “अग्रोहा विकास ट्रस्ट” की स्थापना की। इसके लिए अलग से विधान तैयार किया गया तथा इसमें आप कर छूट का प्रमाण पत्र दिया गया। इस विधान को सम्मेलन ने अपने इंदौर अधिवेशन में सर्वसम्मति से स्वीकार किया। 9 जुलाई, 1976 अग्रोहा विकास ट्रस्ट का विधिवत पंजीकरण हो गया तथा दिनांक 4 अक्टूबर, 1976 को आय कर से छूट का प्रमाणपत्र मिल गया।

अग्रोहा में शिलान्यास समारोह

29 सितम्बर, 1976 को अग्रोहा में शिलान्यास समारोह का आयोजन किया गया। हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमन्त्री श्री बनारसी दास जी अस्वस्थता के कारण नहीं पधार सके। अत:

पाँच ईंटे तैयार कराकर चण्डीगढ़ भेजी गई। मुख्यमन्त्री ने उन ईंटों की शास्त्रीय ढंग से पूजा की तथा अग्रोहा विकास हेतु अपना आशीर्वाद दिया।

इस समारोह में देश के कोने-कोने से अग्रवाल बन्धु एकत्रित हुए तथा महाराजा अग्रसेन के गगनभेदी नारों के बीच अग्रोहा के नव निर्माण की नीव रखी गई। आज अग्रोहा भव्य रूप में हमारे सामने विद्यमान है। यह वैश्य अग्रवाल जाति के लिए पाँचवे तीर्थधाम के रूप में जाना जाता है।

अग्रोहा में मनोकामनाएं पूर्ण होती है

जब हम सच्चे मन से, सच्ची आस्था के साथ, अग्रोहा जाते हैं, तो हमारी मनोकामनाएं निश्चित रूप से पूर्ण होती है। आइये हम प्रण करें और संकल्प लें

  1.  हम एक बार अग्रोहा की यात्रा अवश्य ही करेंगे।
  2. हम अपने बच्चों का मुण्डन व कर्णछेदन अग्रोहा में ही करायेंगे।
  3. हम जात देने के लिए अग्रोहा में जायेंगे।
  4. हम अग्रोहा निर्माण हेतु यथाशक्ति तन, मन, धन से सहायता करेंगे।
  5. हम प्रत्येक विवाह अथवा शुभ अवसर पर अग्रोहा के लिए दान अवश्य निकालेगे।
  6. हम अपने बच्चों के संस्कारों के शुभ अवसर पर अग्रोहा हेतुन अवश्य भेजेगे।
  7. हम नया मकान बनाने पर अग्रोहा के लिए दान अवश्य भेजेंगे।
  8. हम अपने प्रतिष्ठानों में अग्रोहा हेतु धर्मादा अवश्य निकालेंगे।
  9. हम प्रतिमास या प्रतिवर्ष अपनी आय में से कुछ अंश अग्रोहा अवश्य ही भेजेंगे।
  10. हम अपने बच्चों को परिवार जनों को अग्रोहा अवश्य ले जायेंगे तथा उन्हें अपने गौरवशाली इतिहास की जानकारी देंगे।

“अग्रोहा” के वैभव पर प्रकाश डालते हुए मैने निम्न कविता में “अग्रोहा’ के प्राकृतिक सौन्दर्य का वर्णन किया है। इसे दोहराने से अग्रोहा का चित्र सामने आ जाता है।

कानन वन सा महक रहा है…….….. अगले अंक मे

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