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राष्ट्रीय

शरीयत विचारों का राजनीतिकरण नही अपितु विश्लेषण होना चाहिए -दिव्य अग्रवाल

ओवैसी के व्यक्तव्य का राजनीतिकरन नही अपितु उस व्यक्तव्य का गम्भीरता से आंकलन होना चाहिए ।जिसका अर्थ इस प्रकार भी निकाला जा सकता है कि जिस दिन भारत में हिंदुत्व व सनातन धर्म प्रहरियों का प्रतिनिधित्व हटेगा उस दिन तुम्हे(गैर मुस्लिम)को कौन बचाएगा ।ये बात केवल एक ओवैसी की नही है बल्कि उस सोच की है जिसके अंतर्गत गैर मुस्लिमो या काफिरो को जीने का अधिकार ही नही है । ओवैसी जैसे बहूत सारे लोग मुस्लिम समाज के लोगो को अमानवीय व हिंसात्मक विचारधारा के प्रति न सिर्फ प्रेरित कर रहे हैं बल्कि गैर मुस्लिम समाज के लोगो , धर्म के प्रति आक्रामक बना रहे हैं। जिस पर अभी तक किसी भी प्रकार का कोई कठोर अंकुश या प्रतिबंध नही लगाया जा सका है । इसके विपरीत इस जिहादी व अमानवीय मानसिकता के विरुद्ध कुछ हिन्दू धर्म गुरुओं ने छत्तीसगढ़ व हरिद्वार से आवाज बुलंद की तो ना सिर्फ भारत के सेक्युलर नेता अपितु विदेशी मुस्लिम नेताओ ने हिन्दू धर्म के विरुद्ध जहर उगलना शुरू कर दिया। ओवैसी के कथन से एक बात बिल्कुल स्पष्ट हो जाती है। यदि मानव रक्षा हेतु महान धर्म योद्धा योगिराज भगवान श्री कृष्ण द्वारा रचित भगवदगीता गीता का अनुशरण व अनुपालन मानवतावादियों द्वारा अब भी नही किया गया तब ये निश्चित ही सम्भव है कि मोपला काण्ड खिलाफत आंदोलन ,हिंदुस्तान विभाजन , एवम अंग्रेजो के साशन से पहले मानवता का जिस तरह नरसंघार जिहादी मानसिकता के कारण हुआ था । भविष्य में फिर उस नरसंघार की पुरनावृति हो सकती है ।जिसका दोष आज के दोहरे चरित्र वाले राजनेताओं के साथ साथ उन हिन्दुओ का भी होगा जो अपने परिवारों को कम्फर्ट जोन में ले जाने हेतु एक या दो बच्चे को जन्म देकर उन्हें पाश्चत्य संस्कृति एवम षड्यन्त के तहत श्रीकृष्ण को रसिया बताकर रासलीला आदि की ओर अग्रसारित कर रहे हैं। भगवान श्री कृष्ण ने अपने पूरे जीवन काल मे धर्महेतु या तो युद्ध किया या युद्ध लड़वाकर धर्म की विजय पताका फहरायी।इसके अतिरिक्त एक विषय ओर भी है जिस पर चर्चा आवश्यक है। किसी भी रास्ट्र को सक्षम व खुशहाल बनाने में महिला की शिक्षा का बहूत बड़ा योगदान होता है । जिसके लिए लड़कियों को पढ़ने के लिए समय की आवश्यकता भी होती है । लड़कियों की विवाह आयु सीमा 21वर्ष होने पर भारतीय लड़कियों को समय भी मिलेगा व उच्च शिक्षा भी प्राप्त होगी। परन्तु यह निर्णय उन लोगो को कैसे उचित लगेगा जिनका उद्देश्य ही जनसँख्या के आधार पर भारत पर कब्जा करना है । जिन लोगो की मानसिकता में महिला को बच्चे पैदा करने की मशीन समझा जाता हो वो लोग कैसे महिलाओं की शिक्षा व रास्ट्र निर्माण की बात कर सकते हैं। 18 वर्ष से 21 वर्ष के बीच 3 वर्ष का समय होता है अतः जो लोग जनसँख्या जिहाद करना चाहते हैं वो इस तीन वर्ष के अंतर को कैसे स्वीकार कर सकते है । अतः भारत के सामने चुनौती बहूत है एवम सनातनियो को अपने , अपने परिवार व रास्ट्र संरक्षण के प्रति स्वम के दायित्वों का निर्वहन भी भगवान श्रीकृष्ण के अनुशार करना होगा।

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