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Bulandshahr

मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत के बाद प्रधान अध्यापक हुए निलंबित

औरंगाबाद:- आखिर बी एस ए को प्रधान अध्यापक जितेन्द्र सिंह को निलंबित करना ही पड़ा।अब न्याय मिलना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है। एक माह पूर्व‌ ब्लाक लखावटी अंतर्गत ग्राम खनौदा के संविलियन विद्यालय में प्रधान अध्यापक जितेन्द्र सिंह व शिक्षा मित्र देवेन्द्र कुमार शर्मा के बीच जमकर गाली गलौज के बाद मारपीट हुई थी। शिक्षा के पवित्र मंदिर में महिला आंगनबाडियों शिक्षिकाओं के समक्ष हुई इस अशोभनीय कांड की जांच बेसिक शिक्षा अधिकारी अखंड प्रताप सिंह ने तत्काल कराने हेतु दो सदस्यीय समिति गठित की लेकिन वो घटना के 10दिन में भी जांच करने विद्यालय नहीं पहुंच सकी। दो सदस्यीय जांच समिति जांच के लिए क्यों नहीं गई यह सिर्फ बी एस ए जानते हैं।
घटना के 12दिन बाद सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी सुनील कुमार जांच करने विद्यालय पहुंचे और मनमानी जांच पड़ताल करके जांच रिपोर्ट बी एस ए को सौंप दी। इसके बाद खेल शुरू हुआ। बी एस ए ने दोनों पक्षों को दोषी मान दोनों की वार्षिक वेतन वृद्धि रोक दिए जाने का आदेश पारित कर दिया।
ए बी एस ए की कथित जांच से पीड़ित पक्ष संतुष्ट नहीं हुआ और उसने सारे घाल मेल की शिकायत 8जून को मुख्यमंत्री पोर्टल पर दर्ज कराई और सीधे

निलंबित प्रधान अध्यापक जितेन्द्र सिंह

मुख्यमंत्री से इंसाफ मांगा। यही नहीं उसने लखनऊ बैठे बेसिक शिक्षा विभाग के आला अफसरों तथा जिलाधिकारी बुलंदशहर को भी उसी दिन शिकायती पत्र भेजकर न्याय दिलाने की गुहार लगाई।
बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अपनी गर्दन फंसती देख गुरुवार को देर शाम मारपीट करने के आरोपी प्रधानाध्यापक जितेन्द्र सिंह को निलंबित कर दिया।
बेसिक शिक्षा अधिकारी अखंड प्रताप सिंह ने पूछने पर बताया कि मामले की गोपनीय जांच कराई गई थी। जिसमें पाया गया है कि प्रधान अध्यापक जितेन्द्र सिंह घटना के दिन अपने साथ कुछ बाहरी व्यक्तियों को लेकर विद्यालय पहुंचे थे जो कि शिक्षक नियमावली के विरुद्ध कृत्य है अतः उनको निलंबित कर दिया गया है और उनको बी आर सी कार्यालय लखावटी पर अटैच कर दिया गया है।
यहां यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि आखिर ए बी एस ए सुनील कुमार की जांच पड़ताल के समय यह तथ्य सामने क्यों नहीं आ सका और जांच पड़ताल के उपरांत आदेश जारी किए जाने के पश्चात गोपनीय जांच किसके आदेश पर कराई गई।

औरंगाबाद से राजेन्द्र अग्रवाल

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