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राष्ट्रीय

राजनीतिक विरोध के साथ साथ महिला सम्मान हेतु भी मंथन करना चाहिए- दिव्य अग्रवाल

राजनीतिक विरोध के साथ साथ महिला सम्मान हेतु भी मंथन करना चाहिए- दिव्य अग्रवाल

आदरणीय मायावती जी आप एक प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व सम्माननीय राजनेता हैं। आपसे यह अपेक्षाकृत अवश्य था कि आपका प्रथम ट्वीट यह होता जिन लोगो ने सड़को पर , बाजारों में , दुकानों में तोड़फोड़ की , आगजनी की ,समाज मे

अनावश्यक रूप से मजहबी भय का माहौल स्थापित करने की कोशिश की उन पर कठोर कार्यवाही कर लॉ एंड आर्डर को स्थापित किया जाना चाहिए एवम दूसरा ट्वीट यह होता कि नुपुर शर्मा व नवीन जिंदल ने जो भी कथन कहा वह कथन सत्य हैं या भ्रामक इसकी संवैधानीक जांच होनी चाहिए ।

राजनीतिक विरोध अपनी जगह बिल्कुल उचित है पर किसी महिला का सामूहिक बलात्कार करने की धमकी देना , बीच सड़क पर पुतले को फांसी देना , छोटे बच्चो के समूह द्वारा एक महिला के चित्र पर पेशाब करना क्या यह सब संवैधानीक प्रकिर्या का हिस्सा हो सकता है , क्या आप स्वम् बतौर महिला व सभ्य नागरिक के नाते इस बात का समर्थन कर

दिव्य अग्रवाल
दिव्य अग्रवाल(राष्ट्रवादी लेखक व विचारक, गाजियाबाद)

सकती हैं कि यदि किसी बात पर विरोधाभास है भी तो बिना किसी चर्चा के सड़को पर उपद्रव मचाकर , पुलिसकर्मियों पर हमला करके एकतरफा कार्यवाही की मांग करना उचित है । यदि यह सब उचित है तो फिर भारत को यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि भारत मे संविधान नही अपितु अब शरीयत का कानून चलेगा । आपको एक बार उन किताबो को अवश्य पढ़ना चाहिए जिसका उल्लेख नूपुर शर्मा ने अपने व्यक्तव्य में किया था तदोपरान्त आत्ममंथन कर बतौर महिला आपको अवश्य एक उचित संदेश या निर्णय लेना चाहिए।

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