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ईशनिन्दा क्या मानव हत्या की इजाजत देता है -दिव्य अग्रवाल

ईशनिन्दा क्या मानव हत्या की इजाजत देता है -दिव्य अग्रवाल

भारत एक लोकतांत्रिक देश है परन्तु इस देश को शरीयत के अनुरूप चलाने की भरपूर कोशिश हो रही है । एक नया प्रचलन चल पड़ा है जिसमे ईशनिंदा का आरोप लगाओ ओर ग़ैरमुस्लिमो को निशाना बनाओ । बंगलादेश , पाकिस्तान , केरल , महराष्ट्र , पश्चिम बंगाल आदि अनेक स्थान ऐसे है जहां कट्टरपंथियों ने सुनुयोजित तरीके से ईशनिंदा का आरोप लगाकर जबरदस्त तांडव मचाया है । इसी संबंध में यदि बात की जाए तो श्रीलंका एक ऐसा देश है जिसने पाकिस्तान को 35000 से भी ज्यादा कार्निया डोनेशन किया एवम वहां के असंख्य लोगो को नेत्रद्रष्टि प्राप्त हुई परन्तु जिहादी कटरपंथी सोच रखने वाले लोगो ने श्रीलंकाई कम्पनी के मैनेजर की जलाकर हत्या ये कहकर कर दी की जिस पेपर पर हुसैन का नाम लिखा था वो पेपर मैनेजर ने डस्टबिन में डाल दिया था। इस मानसिकता को वहां के रक्षा मंत्री भी सही ठहरा रहे हैं । अब बात हिंदुस्तान के सम्बंध में की जाए तो यहां भी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ईशनिंदा कानून की मांग कर रहा है । जिसके कारण वसीम रिजवी का सर कलम करने वाले पर हैदराबाद के एक नेता मोहम्मद फिरोज ने 50 लाख का इनाम भी घोषित कर दिया है। जबकि सनातन धर्म के गुणों से प्रभावित होकर वसीम रिजवी अब जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी बन चुके है ।

दिव्य अग्रवाल
दिव्य अग्रवाल

इसी ईशनिंदा मानसिकता के चलते कमलेश तिवारी की भी हत्या कट्टरपंथियों द्वारा की जा चुकी है एवं डासना मन्दिर महंत यति नरसिंघानन्द जी की भी गर्दन उतारने के फतवे जारी हो चुके हैं। बात गर्दन कलम करने या ईशनिंदा की नही है अपितु प्रश्न यह है कि जब वसीम रिजवी ,फिलिस्तीन के मोसाब यूसुफ ,लंदन के अपोस्टेट इमाम ,एवम ऑस्ट्रेलिया , अमेरिका आदि कई देशों के मुस्लिम समाज के लोगो ने इस्लाम को स्वेच्छा से न सिर्फ त्यागा अपितु इस्लाम के संबंध में ऐसे तार्किक प्रश्न भी किए जिनके जवाब बड़े- बड़े मौलानाओं के पास भी नही थे । अतः यदि किसी विचारधारा , पंत , समुदाय में कुछ बाते ऐसी है जो मानवता के विरुद्ध है तो उन सब चीजों पर तार्किक बहस होनी चाहिए । यदि प्रश्न करने मात्र पर , गर्दन कलम करने की बात होती है तब यह प्रमाणित हो जाता है कि जिस विचारधारा पर प्रश्न किया गया है वो प्रश्न बिल्कुल सही है । अतः देश व मानवता को बचाने हेतु सरकार को सजगता के साथ कटरपंथी विचारधारा को अविलम्ब प्रतिबंधित करना चाहिए।

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