[ia_covid19 type="table" loop="5" theme="dark" area="IN" title="India"]
जानकारी

देश में सामान्य से अधिक हुई है बारिश, लेकिन यह ‘आंकड़ों का मायाजाल’ है… जानें कैसे

नई दिल्ली. इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून ने अब तक पिछले 6 वर्षों में सबसे असमान रूप से वितरित बारिश में से एक को जन्म दिया है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMII) के अनुसार, भारत में 17 अगस्त तक मात्रात्मक रूप से पर्याप्त दक्षिण-पश्चिम मानसून की बारिश हुई. अब तक इस सीजन में बारिश का आंकड़ा सामान्य से 9.5 प्रतिशत अधिक दर्ज किया गया है. जुलाई और अगस्त की महत्वपूर्ण खरीफ अवधि के दौरान मानसून की बारिश भी प्रभावशाली दिखती है. TOI के मुताबिक पिछले सात हफ्तों में, केवल 2 अगस्त को समाप्त सप्ताह में कम वर्षा दर्ज की गई, जबकि शेष हफ्तों में या तो सामान्य या अधिक वर्षा देखी गई. हालांकि, भौगोलिक रूप से बारिश का वितरण सामान्य से दूर दिखाई पड़ता है.

मौसम विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों के अनुसार, 703 जिलों में से, कुल 236 जिलों (भौगोलिक क्षेत्र का 34 प्रतिशत) में सामान्य मानसूनी वर्षा हुई है. सीएमआईई ने कहा कि यह क्षेत्र सकल फसली क्षेत्र का एक चौथाई से भी कम है. 17 अगस्त तक, भारत के लगभग 36 प्रतिशत में बहुत अधिक या अधिक वर्षा हुई, और 31 प्रतिशत में बहुत कम या कम बारिश हुई है. इसकी तुलना में, वर्ष 2021 में देश के 36 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र में सामान्य वर्षा हुई, वहीं 16 प्रतिशत में कम बारिश हुई और 48 प्रतिशत में अधिक बारिश दर्ज की गई थी.

पिछले साल किसी भी क्षेत्र में बहुत अधिक या बहुत कम बारिश नहीं दर्ज हुई थी. हालांकि इस साल भौगोलिक क्षेत्र के 12 प्रतिशत भाग, मुख्य रूप से तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु में भारी बारिश हुई, जिसके परिणामस्वरूप फसलों को नुकसान हुआ है. देश के लगभग 4 प्रतिशत हिस्सों जिनमें मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में भारी बारिश हुई. 17 अगस्त तक इन राज्यों में बारिश की कमी 36 फीसदी से 48 फीसदी के बीच थी. इस क्षेत्र में खराब बारिश ने खरीफ की बुवाई, विशेषकर चावल की प्रगति को प्रभावित किया है.

कृषि प्रधान राज्य उत्तर प्रदेश का पश्चिमी क्षेत्र पांच सप्ताह की सामान्य मानसूनी वर्षा के साथ बेहतर स्थिति में था. शेष सात हफ्तों में वर्षा या तो कम या बहुत कम थी. इस क्षेत्र को उत्तर प्रदेश के अनाज और गन्ने की टोकरी के रूप में जाना जाता है. सीएमआईई के अनुसार, पूर्वी उत्तर प्रदेश के उप-मंडल में इस मौसम में केवल दो सप्ताह में सामान्य वर्षा हुई है.

बारिश में डूबे दक्षिणी राज्य

दूसरी ओर, दक्षिणी प्रायद्वीप में वर्षा अधिक हुई है. जुलाई 2022 की शुरुआत से इस क्षेत्र में लगातार बारिश हो रही है, इससे अधिकांश दक्षिणी राज्यों में खरीफ की खेती पर असर पड़ा है. तेलंगाना और तमिलनाडु में बारिश काफी अधिक थी. यह सामान्य से 60 फीसदी अधिक दर्ज की गई है. इतनी अधिक वर्षा के कारण जुलाई माह में तेलंगाना बाढ़ की चपेट में था, जिससे राज्य के बुनियादी ढांचे को व्यापक नुकसान हुआ और खरीफ की बुवाई भी प्रभावित हुई.

हालांकि कर्नाटक में बारिश का पैटर्न समान रहा है. राज्य में जुलाई के अधिकांश भाग और अगस्त के पहले भाग में अधिक वर्षा हुई है. तटीय कर्नाटक में बारिश सामान्य से 5 प्रतिशत अधिक थी. दक्षिण आंतरिक कर्नाटक और उत्तरी आंतरिक कर्नाटक में, मानसूनी वर्षा सामान्य से क्रमशः 54 प्रतिशत और 44 प्रतिशत अधिक थी. पश्चिमी राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान में भी अधिक बारिश हुई है.

Show More

Related Articles

Close