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बुलंदशहर ईंट भट्टो की हड़ताल से देश पर भी पड़ेगा बुरा प्रभाव- संजय गोयल
- ईंट के भटृॊं पर GST 1% से बढ़ाकर 12%
- कोयला 7 रूपये किलो से बढ़कर 21 रूपये किलो
- कैसे पकाये ईंट और क्या रेट में बेचे ईंट?
- इतनी महंगी ईंट हो जाने पर देश की जनता भी कैसे बनाए अपने घर ?
- महंगाई और बेरोजगारी रुकने का नाम नहीं ले रही है|
बुलंदशहर: सरकार द्वारा ईंट भट्टों पर बढ़ाई हुई जीएसटी व कोयले के दामों में बेतहाशा वृद्धि के चलते भट्टे वालों ने इस साल भट्टे ना चलाने का निर्णय लिया है और इस साल भट्टे स्वामी अपने-अपने ईंट भट्टे बंद कर हड़ताल करके बैठ गए हैं|
बुलंदशहर में लगभग 375 भट्ठे संचालित हैं और प्रत्येक भट्टा लगभग 200 लोगों को काम देता है बुलंदशहर में अगर भट्ठे न चले तो 75000 लेबर जिनको मनरेगा से काम नही मिलता जो केवल भट्ठे पर कार्य करते हैं वो बेरोजगार हो जायेंगे जिससे सरकार के सामने काम देने की समस्या आयेगी और बेरोजगारी बढ़ेगी।
जब ईंट का उत्पादन नही होगा तो जिले भर के निर्माण कार्य ठप हो जायेंगे जिसमें प्रधानमंत्री जी का सपना सबका घर हो अपना वो अधूरा रह जायेगा ।
जितने निजी मकानों में लाल ईंट लग रही है वो सब बंद हो जायेंगे जिससे हजारों लोगों का रोजगार चला जायेगा और बेरोजगारी बढ़ेगी ।
अगर ईंट नही बिकेगी तो उसको पहुंचाने वाले साधन ट्रक, ट्रैक्टर के ड्राइवर और ईंट भरने उतारने वाले लेबर सब बेरोजगार हो जायेंगे ।
ईंट भट्टो पर कृषि अपशिष्ट तूड़ी, भूसी , कुट्टी , धान भूसी ईंधन के रूप में इस्तेमाल होती है अगर भट्ठे न चले तो ये सब खेत में जलेगा जिससे प्रदूषण भी बढ़ेगा।
भट्ठे न चलने की स्तिथि में कोयला व्यापारी और ट्रांसपोर्ट भी बहुतायत में प्रभावित होगा।
जब ईंट नही मिलेगी तो बालू, सीमेंट , गिट्टी और सरिया की खपत नही होगी जिससे सारे दुकानदार मंदी की मार झेलेंगे और बेकार हो जायेंगे इनका व्यापार घाटे में जायेगा और भट्टा मालिक के सामने भी रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो जायेगी इस तरह से भट्ठे वाले अगर हड़ताल पर जाएंगे तो समाज का एक बहुत बड़ा तबका बेरोजगार और बेकार हो जायेगा जिसको संभालना बहुत मुश्किल हो जायेगा जिसका प्रभाव पूरे देश में देखने को मिलेगा।
कृषि कार्यों में लेबर को कार्य मिलने की एक सीमा होती है और उसमें क्षेत्रीय लेबर को ही काम मिलता है और कृषि कार्यों में मशीनीकरण होने से अब लेबर की जरूरत न के बराबर रह गई है जिसकी वजह से या तो उनको कार्य नहीं मिलता या अगर मिलता है अपना मेहनताना बहुत कम मिलता है जबकि ईंट भट्टो पर उनको भरपूर मजदूरी और मेहनताना मिलता है भट्ठे बंद होने की स्तिथि में भुखमरी के कारण अपराधो में अत्यधिक वृद्धि होगी।
जनपद ईंट निर्माता समिति बुलंदशहर के मीडिया प्रभारी संजय गोयल का कहना है कि सरकार को जनहित में बढ़ी हुई जीएसटी को वापस लेना ही उचित होगा व कोयले के दामों पर भी बेहतासा हुई वृद्धि पर विचार करना होगा,
मुख्य संपादक -ओम प्रकाश गोयल