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Bulandshahr

आखिर कब मिलेगा बागपत के आकिल को न्याय,डी एस ओ बुलंदशहर अभय प्रताप सिंह पर नौकरी लगवाने के नाम पर  छः लाख रुपए वसूले, जाने का आरोप

तिहाई रकम जमा कराई गई थी डी एस ओ के रिश्तेदारों के बैंक खातों में ,ना ही मिल सका महिला पूर्ति निरीक्षक मीनाक्षी को न्याय

औरंगाबाद( बुलंदशहर ) यदि आरोपी जिला स्तरीय अफसर हो और वह पैसा खर्च करने की कूवत रखता हो और शिकायत कर्ता आम आदमी हो तोपीड़ित व्यक्ति को न्याय मिलना असम्भव नहीं तो कठिनतम अवश्य है। फिर सरकार किसी भी पार्टी की हो भले ही स्वयं योगी आदित्यनाथ जी की ही क्यों ना हो । ऐसा आभास बागपत निवासी आकिल के मामले की जानकारी प्रकाश में आने के पश्चात होता है।

बागपत निवासी एक नौजवान आकिल राजपूत वर्ष 2020 में जिला पूर्ति कार्यालय बागपत में संविदा कर्मी के रूप में तैनात था ।उस समय बागपत के जिला पूर्ति अधिकारी अभय प्रताप सिंह (वर्तमान तैनाती जिला पूर्ति अधिकारी बुलंदशहर) थे। संविदा कर्मी के रूप में आकिल की सेवाओं से संतुष्ट अभय प्रताप सिंह ने उसे स्थाई कराने की एवज में छः लाख रुपए की मांग की। सरकारी नौकरी वो भी स्थाई के लालच में फंसे आकिल ने जैसे तैसे रूपए का इंतजाम किया और दो लाख रुपए नकद डी एस ओ अभय प्रताप सिंह को नकद दे दिए। दूसरी किस्त के रूप में अभय प्रताप सिंह के विश्वस्त पूर्ति निरीक्षक हिमांशु भारद्वाज को दो लाख बारह हजार रुपए अभय प्रताप सिंह के निर्देश पर थमा दिये। हाई फाई रिश्वतखोरी के इस मामले का अहम और सबसे विश्वसनीय सबूत यह है कि आकिल ने अभय प्रताप सिंह के कहने पर प्रमिला एंटर प्राइजेस के बैंक खाते संख्या 16850500000128 में 4अगस्त 2020को उडंचास हजार,उडंचास हजार रुपए कुल 98हजार रूपए खुद बैंक स्लिप भरकर जमा कराये थे। दिलचस्प बात यह है कि आयकर विभाग की पूछताछ से बचने के लिए अभय प्रताप सिंह ने एक बार में पचास हजार रुपए से कम जमा करने की बात आकिल को कही थी।

इसके बाद 30अगस्त 2020को आकिल ने रीता सिंह के बैंक खाते संख्या 304902010043868में 9सितंबर 20को तीस हजार तथा दस हजार रुपए कुल चालीस हजार रुपए और 28सितंबर 20को पुनः इसी खाते में 25हजार की। रकम जमा कराई थी।

इसके बाद आकिल ने 25हजार की रकम रिंकी सिंह के बचत खाते संख्या 35165781973में जमा कराई थी।

अभय प्रताप सिंह ने इस सब के बाद आकिल को विभागीय परिचय पत्र जारी किया और उसको विभागीय व्हाटशप ग्रुप में शामिल कर दिया।

अभय प्रताप सिंह के बुलंदशहर स्थानांतरित हो जाने के पश्चात आकिल उस समय ठगा सा रह गया जब उसे पता चला कि अभय प्रताप सिंह द्वारा जारी परिचय पत्र फर्जी है। कार्यालय में उसका कोई रिकॉर्ड स्थाई कर्मचारी के रूप में उपलब्ध ही नहीं है। ठगी का अहसास होने के पश्चात आकिल ने बुलंदशहर आकर अभय प्रताप सिंह से अपनी छ लाख की रकम जो उसने स्थाई नौकरी लगवाने की एवज में बतौर रिश्वत दी थी वापस मांगी तो डी एस ओ ने साफ मुकरते हुए रकम प्राप्त करने से ही इंकार कर दिया। क्षुब्ध होकर आकिल ने 15अगस्त 21को जिलाधिकारी बुलंदशहर को तमाम सबूतों के साथ एक शिकायती पत्र देकर न्याय दिलाने की गुहार लगाई। जिसपर जिलाधिकारी ने ए डी एम डा प्रशांत कुमार को मामले की जांच सौंपी। डाक्टर प्रशांत कुमार ने 16सितंबर21को आकिल को जांच पड़ताल करने के लिए अपने कार्यालय में तलब किया। उस पर आकिल ने उक्त तिथि को उनके समक्ष पेश होकर शपथ पत्र मय तमाम सबूतों के पुनः सौंपकर न्याय दिलाने की मिन्नतें कीं।

इसके बाद अभय प्रताप सिंह ने बागपत में अपने ओहदे के असर से पुलिस में आकिल के खिलाफ नकली परिचय पत्र बनाने की रिपोर्ट दर्ज करा दी। जिसपर आकिल ने हाईकोर्ट की शरण ली और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले को संदिग्ध मानते हुए आकिल को अग्रिम जमानत दे दी।

जिला पूर्ति अधिकारी अभय प्रताप सिंह के खिलाफ महिला पूर्ति निरीक्षक मीनाक्षी ने भी दुर्व्यवहार करने की शिकायत स्वयं जिलाधिकारी बुलंदशहरके समक्ष उनके कार्यालय पर पहुंचकर की थी। यही नहीं जिलाधिकारी से भैंट के समय महिला पूर्ति निरीक्षक मीनाक्षी अपने अपमान से क्षुब्ध होकर फूट फूटकर रोतीं हुईं जिलाधिकारी को अपनी आप बीती सुनाते हुए न्याय मांग रहीं थीं। लेकिन न्याय उनको भी आज तक नहीं मिला है।

पीड़ित आकिल का यह भी कहना है कि कोई भी अधिकारी यह जांच पड़ताल करने को भी तैयार नहीं है कि जिन बैंक खातों में मुझसे रकम जमा करवाई गई थी वो अभय प्रताप सिंह के कौन लगते हैं। इतना स्पष्ट सबूत उपलब्ध कराये जाने के बाबजूद मुझे न्याय क्यों नहीं मिल रहा है। आकिल ने यह भी कहा कि अपने हक और न्याय पाने की खातिर में जरूरत पड़ने पर सर्वोच्च न्यायालय तक भी जाउंगा। मुझे सिर्फ न्याय व्यवस्था से ही उम्मीद है नौकरशाही से न्याय मिलना असम्भव प्रतीत हो रहा है।

रिपोर्टर राजेंद्र अग्रवाल

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