दनकौर
द्रोण गौशाला परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह में श्री कृष्ण द्वारा बाल्यकाल में माता यशोदा को अपने मुखारविंद में ब्रह्मांड दर्शन के साथ छोटी-छोटी कथाओं के माध्यम से भक्तों का मनमोहा
दनकौर :श्री द्रोण गौशाला परिसर में 15 सितंबर से चल रही श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह में पांचवे दिन सोमवार को परम पूज्नीय धर्माशास्त्राचार्य हरि शरण उपाध्याय नेअपने मुखारविंद से भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का मनमोहक वर्णन करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने बाल्यकाल में भी खेल खेल में पूर्व जन्म में श्राप से ग्रस्त देवताओं को पापों से मुक्त किया,
बाल्यकाल में भगवान श्री कृष्ण द्वारा माखन चोरी का वर्णन रहा हो या काली नदी जमुना में कालिया नाग की मुक्ति रहा हो या फिर यशोदा को अपने मुखारविंद में पूरे ब्रह्मांड के दर्शन करा यशोदा का कल्याण करने का रहा हो या फिर आंगन में लगे 2 अशोक के पेड़ों के रूप में खड़े देवताओं के उत्थान का रहा हो प्रभु श्री कृष्ण ने अपने पूरे बाल्यकाल में खेल खेल में अपनी लीलाओं के माध्यम से सभी का कल्याण व उत्थान करते रहे,
आज की कृष्ण लीला में बताते हैं कि जब यशोदा मां माखन चोरी का आरोप लगाते हुए कृष्ण का मुंह खोलती हैं तू प्रभु के मुखारविंद में पूरे ब्रह्मांड के दर्शन कर अचंभित हो जाती है कहती हैं कि यह साधारण बालक नहीं भगवान है तब श्री कृष्ण बड़े भोले बनकर कहते हैं कि मां मैं तेरा वही छोटा नटखट बालक हूं मैं कोई भगवान नहीं हूं इसी तरह जब मां यशोदा मखन चोरी की शिकायतों से काफी परेशान हो जाती हैं तो कृष्ण को रस्सी से बांधने का निर्णय लेती है और ओखली से बांध कर चली जाती है कृष्ण यही तो चाहते थे और धीरे-धीरे आंगन में खड़े दो अशोक के पेड़ों के बीच में ओखली को फसा कर रस्सी खींचते हुए दोनों वृक्षों को गिरा देते हैं जिनमें से पूर्व जन्म में श्रापित दोनों देवता प्रकट होकर प्रभु को नमन कर मुक्ति के लिए उनका आभार प्रकट करते हैं इसी तरह जब कृष्ण को पता चलता है कि जमुना के अंदर राक्षस कालिया नाग के रूप में रहता है और पानी को जहरीला कर क्षेत्र के लोगों को खत्म करता रहता है तो योजना व्रत तरीके से बच्चों के साथ खेल का आयोजन करते हैं और खेल खेल में बॉल को नदी में फेंक देते हैं बच्चों के काफी मना करने के बावजूद वे नदी में छलांग लगा कर उस राक्षस का कल्याण करते हुए उसे वहां से चले जाने के लिए कहते हैं और क्षेत्र के लोगों को उस से मुक्ति दिलाने का काम करते हैं
इसी तरह परम पूज्नीय धर्मशास्त्रा चार्य श्री हरिशरण उपाध्याय जी ने अपने मुखारविंद से उपस्थित भक्त लोगों को बहुत सारी छोटी-छोटी कथाओं के माध्यम से उनके गोवर्धन तक का संपूर्ण वर्णन बहुत ही अच्छे शब्दों में किया जिसे सुनकर सभी भक्त लोग भक्ति में लीन होकर मदमस्त हो गए उनके समझाने का तरीका सभी भक्तों को बहुत पसंद आ रहा है