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कालशर्प योग के दुष्परिणाम से बचने के लिए करे सरल मंत्र का जप – जानते है सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्राजी से 

सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल इंटरनेशनल वास्तु अकडेमी सिटी प्रेजिडेंट कोलकाता 

कोलकाता: कालशर्प योग से जातक प्रभावित होता है और उस से भी ज्यादा लोग उन्हें डरा देती है। कालशर्प योग से डरने की कोई अवसक्ता नहीं है।

कैसे बनता है कालशर्प योग

किसी जन्मांग में कालसर्पयोगका निर्धारण अत्यन्त सावधानीसे करना चाहिये। केवल राहु-केतुके मध्य नहीं ग्रहोंका होना ही पर्याप्त नहीं है। ज्योतिषमें १२ राशियाँ हैं । इनके आधारपर १२ लग्न होते हैं और इनके विविध योगोंके आधारपर कुल २८८ प्रकारके कालसर्पयोग निर्मित हो सकते हैं। एक ससक्त ज्योतिषी ही इसको समझ सकते है।

कैसे जाने की आप काल शार्प योग से पीड़ित है या नहीं

जैसे डॉक्टर सिम्पटम्स के आधार पर बीमारी का नाम कारण करते है, ठीक वैसे ही ज्योतिषी लक्षणों से ये निर्धारण कर सकते है की कालसर्पयोग है या नहीं। लक्षण: कालसर्पयोगसे जो जातक प्रभावित होते हैं, उन्हें प्रायः स्वप्नमें सर्प दीखते हैं। जातक मेहनती होते है और यथा संभव अपने कार्यों में अथक परिश्रम करनेके बावजूद आशातीत सफलता प्राप्त नहीं कर पाते । हमेशा मानसिक तनावसे ग्रस्त रहते है, जिसके कारण सही निर्णय लेनेमें असमर्थ होते है। अकारण लोगोंसे शत्रुता मिलती है। गुप्त शत्रु सक्रिय रहते हैं, जो कार्योंमें अवरोध पैदा करते हैं। पारिवारिक जीवन भी कलहपूर्ण होता है। विवाहमें विलम्ब या वैवाहिक जीवनमें तनावके साथ विच्छेदतक स्थितियाँ निर्मित हो जाती हैं।

उपाय

यहाँ वह न भटके। स्वयं उपाय करे। इस स्तोत्र का पाठ रोजाना ९ बार करे

अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम् ।

शङ्खपालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा ॥

एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।

सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः ॥

अर्थ

अनंत वासुकि, शेष कमल-नाभि कंबल ।

शंखपाल धृतराष्ट्र तक्षक और कालिया:।।

ये हैं महान नागों के नौ नाम।

इस मंत्र का जाप रोजाना शाम को करना चाहिए, खासकर सुबह के समय।।

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