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अपराध

जिम्मेदार कौन :आखिर कब लगेगी दिल दहला देने वाली घटनाओं पर रोक,  हमारा  समाज दोषियों को सजा दिला पाएगा या फिर पुराना इतिहास दोहराते हुए वही घिसा पिटा न्याय पाकर ही संतुष्ट हो जाएगा 

पहली सैलरी की जगह अंकिता को मौत मिली परिवार की मदद के लिए गांव छोड़ा, सब जॉब मिलने पर खुश थे; अब घर में सिर्फ यादें

उत्तराखंड का डोभ श्रीकोट गांव। श्रीनगर से पौड़ी के रास्ते पर 22 किमी आगे बढ़ने पर बसे इसी गांव में अंकिता भंडारी का घर है। अंकिता ऋषिकेश के वनंतरा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट थीं और गेस्ट को स्पेशल सर्विस देने से इनकार करने पर उनकी हत्या कर दी गई थी।अंकिता के गांव में अभी महज 50 लोग रहते हैं। 20 साल पहले यहां की आबादी करीब 200 थी। ये लोग रोजगार की तलाश में पलायन कर गए। अंकिता का परिवार, दोस्त, रिश्ते सब इसी गांव में हैं। वह भी परिवार की मदद करना चाहती थीं, इसलिए 12वीं के बाद होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया और काम के लिए ऋषिकेश आ गईं। पहली सैलरी मिलने से पहले ही अंकिता की जिंदगी खत्म हो गई। हम सोमवार सुबह अंकिता के गांव पहुंचे।

रोड से एक घंटे की चढ़ाई पर अंकिता का गांव

श्रीनगर से निकलकर हम अंकिता के गांव जाने वाले रास्ते पर रुके। मेन रोड पर एक बाशिंदे से पूछा कि डोभ श्रीकोट गांव कहां है। उसने बताया कि सामने वह पहाड़ी दिख रही है, उसी के पीछे है। मैंने पूछा जाने का रास्ता कहां से है, तो बोला- गाड़ी यहीं छोड़ दीजिए। पैदल जाना पड़ेगा। करीब एक घंटा लग जाएगा।

ये रास्ता पहाड़ों के बीच बहती झिर थी। जगह इतनी ही है कि एक आदमी निकल पाए। इस पर भी पानी बहता रहता है। आगे बढ़ने के लिए बहते पानी से ही गुजरना पड़ता है। फिसलन भरे रास्ते पहाड़ की ओर ले जाते हैं। इसी रास्ते से गांव के लोगों का रोज का आना-जाना है। चारों तरफ घना जंगल है। कहा गया कि यहां भालू, बाघ, तेंदुआ, जंगली सुअर दिखना आम है। संभलकर जाना।कुछ कदम चलते ही जूतों में पानी भर गया। उनके साथ पत्थरों पर चलना मुश्किल था। जैसे-जैसे ऊपर चढ़े, सांस फूलने लगी। हिम्मत जवाब दे रही थी। पगडंडियों से गुजरते हुए एक बार तो हम भटक गए। रास्ता बताने वाला कोई था नहीं। रास्ते में कुछ घर मिले, लेकिन उन पर ताला लगा था। गांव के लोग राहत भरी जिंदगी की तलाश में दूसरे शहर जा चुके हैं।

 

पहाड़ों से घिरा पुराना सा घर, जहां अंकिता रहती थीं

करीब 50 मिनट पैदल चलते हुए हम अंकिता के घर पहुंचे। सफेद रंग की पुताई वाला पुराना सा घर। यहीं उनका बचपन बीता और रिसॉर्ट में नौकरी से पहले भी वह यहीं रह रही थीं। पहाड़ के इस हिस्से में मातम है। बेटी के चले जाने का दुख है और इस दुख से भरा सूनापन।

घर में अंकिता की किताबें रखी हैं। कुछ कॉपियां हैं, जिनमें परिवार उनकी राइटिंग निहारता है। यही कागज अब अंकिता की यादों में बदल गए हैं।

 

चाचा बोले- हमने तो सोचा था कि अच्छा हुआ जॉब मिल गई

यहीं हमें अंकिता के चाचा सुरेंद्र सिंह भंडारी मिले। कहते हैं कि अंकिता बहुत इंटेलिजेंट थी। 12वीं तक पढ़ाई की। घर की स्थिति ऐसी थी कि उसे लगा कि परिवार के लिए कुछ करना चाहिए। यहां आने-जाने का रास्ता तक नहीं है। फिर भी परिवार ने जैसे-तैसे उसे पढ़ाया था। उसे रिसॉर्ट में जॉब मिल गई, तो हमने सोचा कि चलो अच्छा काम मिल गया। वह रोज मम्मी से बात करती थी। 18 सितंबर को अचानक उसका मोबाइल बंद हो गया।

अंकिता को इंटरनेट पर रिसॉर्ट में नौकरी का पता चला था। जम्मू वाले दोस्त ने उसे ये नौकरी जॉइन करने में मदद भी की। 28 अगस्त को अंकिता घर से ऋषिकेश के लिए निकली। 1 सितंबर से उसकी जॉइनिंग थी। 20 दिन भी नहीं बीते कि उसकी हत्या कर दी गई।

 

पटवारी ने रिपोर्ट नहीं लिखी, रिसॉर्ट मालिक ने बताया तक नहीं कि अंकिता गायब है

हमने उनसे पूछा कि अंकिता के लापता होने के बाद क्या हुआ था। उन्होंने बताया कि हमने पहले पटवारी से बात की। उसने तो रिपोर्ट लिखने से भी इनकार कर दिया। इसके बाद हमने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी से बात की। वे यही से हैं। उनको बताया कि दीदी ऐसी बात हो गई है।

उनके कहने के बाद पुलिस एक्टिव हुई। SDM ने केस यहां ट्रांसफर किया। लोगों ने भी बहुत मदद की। 20 तारीख से वे साथ खड़े रहे। अंतिम संस्कार तक साथ मौजूद थ। पहले तो हमें पता ही नहीं चला कि अंकिता के साथ क्या हुआ है। उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था। जम्मू से अंकिता के एक दोस्त का फोन आया। इससे पता चला। फिर अंकिता के पापा यहां से गए। हमें रिसॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य ने भी नहीं बताया कि क्या हुआ है। उसे तो बताना चाहिए था कि आपकी बेटी यहां से गायब हो गई है। वह गया पटवारी के पास। उसने वहां गलत रिपोर्ट लिखाई कि वह मानसिक तनाव में थी।

12वीं से आगे पढ़ना चाहती थी, लेकिन कॉलेज नहीं जा पाई

चाचा बताते हैं कि अंकिता 5वीं तक सरस्वती विद्या मंदिर में पढ़ी। फिर भगतराम इंग्लिश मीडियम स्कूल से इंटर की पढ़ाई की। स्कूल 10 किमी दूर पौड़ी में है। वह वहीं किराए का कमरा लेकर पढ़ी। 12वीं पास करने के बाद वह चाहती थी कि आगे पढ़ाई करे। उसी टाइम कोरोना आ गया। तब उसने देहरादून से होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया। उसकी इच्छा थी कि वह होटल इंडस्ट्री में नाम कमाए।

पिता बीरेंद्र सिंह भंडारी पास के डैम में गार्ड की नौकरी करते थे। कोरोना के टाइम में नौकरी छूट गई। मां सोनी को आंगनबाड़ी में काम करना पड़ा। वे अब भी यहीं काम करती हैं।

हमने कहा कि अंकिता का कमरा कौन सा है, जहां वह पढ़ाई करती थी। इस पर चाचा हमें एक कमरे में ले गए। करीब 8 बाई 8 का होगा। अंदर घुसते ही सामने अंकिता की स्कूल की ग्रुप फोटो टंगी दिखी। ये फोटो 2011 में खींची गई थी। अंकिता तब 5वीं में थी।

पूर्व CM हरीश रावत परिवार से मिलने पहुंचे

हम अंकिता के घर पर थे, इसी दौरान पूर्व CM और कांग्रेस नेता हरीश रावत अंकिता के परिवार से मिलने पहुंचे। उन्होंने कहा कि केस में सरकार की तरफ से कई लापरवाहियां हुई हैं। 4 दिन आरोपियों को अरेस्ट करने में लग गए। अंकिता की बॉडी को नहर से निकालने में 7 दिन लग गए। पोस्टमॉर्टम में महिला डॉक्टर नहीं थी। पिता ने बताया कि रिसॉर्ट के CCTV के तार काटे गए थे, ताकि एविडेंस न मिले।

रावत ने कहा कि ये सब पुलिस-प्रशासन की जानकारी में आ गया था। उन्हें एविडेंस बचाना था, लेकिन उल्टा रिसॉर्ट पर बुलडोजर चलवा दिया। एक लापरवाही और हो रही है कि आरोपियों की पुलिस रिमांड तक नहीं ली गई है।

आरोपी पुलकित के पिता और BJP से सस्पेंड पूर्व मंत्री विनोद आर्य की भूमिका पर उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि वे सबूत मिटाने के दोषी हैं। ये अपराध है। उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

दोस्त की चैट से खुलासा अंकिता पर था एक्स्ट्रा सर्विस का दबाव

अंकिता की कुछ चैट मिली हैं। इनमें अंकिता ने अपने दोस्त को बताया था कि उस पर रिसॉर्ट में आने वाले VIP गेस्ट को स्पा सर्विस देने का दबाव बनाया जा रहा था। उसके साथ जबरदस्ती की गई और प्रॉस्टिट्यूट बनने के लिए 10 हजार रुपए का लालच दिया गया। अंकिता से कहा गया कि तुम्हें गेस्ट हैंडल करने हैं, अगर नहीं करोगी तो तुम्हें हटा देंगे।

साढ़े 8 घंटे प्रदर्शन के बाद अलकनंदा के घाट पर हुआ अंकिता का अंतिम संस्कार

उत्तराखंड के श्रीनगर में साढ़े 8 घंटे चले प्रदर्शन के बाद रविवार को अंकिता भंडारी का अंतिम संस्कार कर दिया गया। पहले परिवार ने डीटेल्ड पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग कर अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया था। अधिकारियों ने पिता को भरोसा दिया कि पुलिस इस केस की अच्छे से तफ्तीश करेगी और फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिए आरोपियों को सजा दिलाई जाएगी। इसके बाद परिवार अंत्येष्टि के लिए राजी हो गया।

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