[ia_covid19 type="table" loop="5" theme="dark" area="IN" title="India"]
Bulandshahr

नगर पंचायत औरंगाबाद अनारक्षित

औरंगाबाद (बुलंदशहर ) तमाम कयासों और संभावनाओं को दरकिनार करते हुए प्रदेश सरकार ने इस बार औरंगाबाद नगर पंचायत अध्यक्ष पद को अनारक्षित करने का ऐलान किया है। इस प्रकार इस सीट पर आगामी निकाय चुनाव में हर कोई अपने भाग्य की जोर आजमाइश कर सकता है। सत्ताधारी दल भाजपा में पंचायत अध्यक्ष पद पर टिकिट के लिए सर्वाधिक मारामारी को देखते हुए इस बार यह सीट एस सी एस टी वर्ग के लिए आरक्षित होने के कयास लगाए जा रहे थे। वहीं लोध बाहुल्य इस सीट पर पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित होने के दावे भी जोर शोर से किये जा रहे थे। एस सी एस टी वर्ग को आरक्षण दिए जाने के दो कारण गिनाए जा रहे थे। प्रथम तो आजादी के बाद से ही इस वर्ग को कभी आरक्षित नहीं हुई थी इसलिए आशा थी कि मिशन 24को देखते हुए अनुसूचित जाति जनजाति के लिए पहली बार आरक्षित करके भाजपा हाईकमान एक तीर से दो शिकार कर सकती है कि एस सी एस टी वर्ग को आरक्षण का लाभ दिलाकर इस वर्ग में अधिक लोकप्रियता हासिल कर सके दूसरी ओर पार्टी टिकट के लिए मारामारी पर अंकुश लगाना संभव हो सके।

यदि इस सीट पर हुए पिछले पांच चुनावों का इतिहास टटोला जाए तो वर्ष 1997में पहली बार यह सीट पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित की गई थी जिसपर भाजपा के दुलीचंद सैनी ने जीत हासिल की थी। वर्ष 2002में यह सीट इसी वर्ग की महिला को आरक्षित कर दी गई थी जिसपर दुलीचंद सैनी की पत्नी माया देवी ने जीत हासिल कर भाजपा का कब्जा बरकरार रखा था। वर्ष 2007का चुनाव बेहद दिलचस्प रहा था। इस वर्ष राममंदिर आंदोलन में हीरो रहे भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री कद्दावर नेता कल्याण सिंह ने अपनी पूर्व पार्टी राष्ट्रीय क्रांति दल के समय से ही साथ रहे अपने निष्ठावान कार्यकर्ता हरी सिंह लोधी को टिकट देने के लिए विवश कर दिया था और भाजपा ने दो बार से चेयरपर्सन रहे दुलीचंद सैनी का टिकट कल्याण सिंह के दबाव में काटने में देरी नहीं लगाई थी। हरी सिंह जीते लेकिन विधि का विधान कहें या फिर किसी की बद्दुआ हरी सिंह अपना कार्य काल पूरा करने से पूर्व ही बीमारी के चलते असमय ही स्वर्ग सिधार गए। उनके निधन के पश्चात कराये गये उपचुनाव में सीट समाजवादी पार्टी के खाते में चली गई। इस चुनाव में सपा नेता जगवीर सिंह लोधी की माता मुन्नी देवी भाजपा के डा गजेन्द्र सिंह लोधी को मात्र 95वोट से हराकर विजयी रहीं।इस चुनाव की खासियत यह रही कि कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लडे महीपाल सिंह सैनी ने 1400वोट लेकर डा गजेन्द्र सिंह की हार में अहम भूमिका अदा की।

वर्ष 2012में भाजपा ने एक बार फिर डॉ गजेन्द्र सिंह लोधी को मैदान में उतारा। लेकिन भाजपा के युवा कार्यकर्ता राजकुमार लोधी ने टिकट ना मिलने पर बगावत करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडा। इस चुनाव में सपा ने अब्दुल्ला कुरैशी को मैदान में उतारा था। अब्दुल्ला कुरैशी की जीत पर आतिशबाजी तक हो गई लेकिन रिकाउंटिंग हुई और राजकुमार लोधी 7वोट से विजयी घोषित किए गए। भाजपा के डा गजेन्द्र सिंह लोधी मात्र975वोट पर ही सिमट कर रह गए थे। यह सीट पिछड़े वर्ग को आरक्षित थी।

पिछले चुनाव में वर्ष 2017में भी यह सीट पिछड़े वर्ग को ही आरक्षित की गई थी। इस चुनाव में भाजपा ने चेयरमैन राजकुमार लोधी को टिकट दिया था लेकिन भाजपा की कब्र उसी के एक नेता जी ने खोद डाली थी अपनी बिरादरी के उम्मीदवार को राजकुमार लोधी के सामने खड़ा कर डाला और खुलेआम बगावती सुर ताल बजाते हुए पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहे। रिकाउंटिंग के चलते गत चुनाव का इतिहास दोहराया गया और विजयी राजकुमार लोधी के स्थान पर 7 वोट से सीट समाजवादी उम्मीद वार अख्तर अली मेवाती की झोली में डाल दी गई।

इस वर्ष का चुनाव अभी दूर है जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा यह वक्त ही बताएगा। अनारक्षित होने से चुनाव मैदान में रिकॉर्ड दावेदार आने की प्रबल संभावना जताई जा रही है।

रिपोोर्टर राजेंद्र अग्रवाल

Show More

Related Articles

Close