उत्तर प्रदेश
अल हाजरी का व्यक्तव्य धार्मिक व सार्वजनिक होने के साथ चिंताजनक है-दिव्य अग्रवाल

हिन्दुस्तान में हिन्दू राष्ट्र का सपना देखने वालों को अन्य परिस्थितियों का भी अवलोकन करना चाहिए । भारत के अनेकों मुल्ला मौलवी, इस्लामिक नेता अपनी कौम को मुगलिया आक्रान्ताओ के कुछ वर्षों का क्रूर व अमानवीय शासन का इतिहास पढ़ाकर मानसिक , शारीरिक व आर्थिक रूप से तैयार कर रहे हैं। साथ ही साथ इस बात की शिक्षा भी दे रहे हैं की इस्लाम के अतिरिक्त इस धरती पर किसी अन्य का कोई अस्तित्व नही है ।
अभी हाल ही में कतर विश्विद्यालय के प्रोफेसर अल शफी हाजरी ने स्पष्ट शब्दों में विश्व भर के मुसलमानों को संदेश दिया की काफ़िर यानी गैर मुस्लिमो को इस्लाम मे लेकर आओ और जो काफ़िर इस्लाम मे न आय उसको बिना दया के मार दो परन्तु इस हिंसक व्यक्तव्य का विरोध न तो भारत की गैर इस्लामिक जनता कर पायी न ही कोई अन्य देश । मुगल काल से लेकर आज तक इस्लाम की इस मजहबी सोच में कोई बदलाव नही आया । टी राजा , नूपुर शर्मा जैसे लोग इस्लामिक किताबो में लिखित सत्य को यदि बोल भी दें तो उनके विरुद्ध सर तन से जुदा के न सिर्फ फतवे जारी कर दिए जाते है अपितु सनातनी समाज भी ऐसे लोगो से तुरंत दूरी बना लेता है । जिस तीव्रता से मजहबी आतंक पुनः भारत मे स्थापित हो रहा है उस तीव्रता से राष्ट्रवादी सरकारों को भी कठोर कार्यवाही करनी होगी । एक विकट समस्या यह भी है कि उचित मार्गदर्शन न होने के कारण हिन्दू समाज मे धर्म का अर्थ मात्र राजनीति करने तक सिमट कर रह गया है , जबकि जमीयत उलेमा ऐ हिन्द जैसे संगठन अपनी इस्लामिक फौज को तैयार करने में लगे हुए हैं। दिन प्रतिदिन मजहब के नाम पर हिन्दुओ की हत्या , बलात्कार , व्यापारिक आधिपत्य स्थापित किया जा रहा है पर शक्तिशाली व्यक्तियों ने मौन धारण कर रखा है।मजहबी कौम में कट्टरता का भाव इतना प्रबल है की शरीयत के अतिरिक्त अन्य किसी भी व्यवस्था को वो उखाड़ देना चाहते हैं। निसंदेह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी मानवता को बचाने हेतु प्रयासरत है परन्तु जब तक पूरे राष्ट्र में मानवता व धर्म की रक्षा हेतु छत्रपति शिवाजी महाराज के स्वराज्य की भांति चेतना जागृत नही होगी तब तक इस मजहबी आतंक से बचना लगभग असंभव है । इस्लाम के धर्म प्रचारक सैकड़ो वर्षों से गजवा ऐ हिन्द के लिए प्रयासरत हैं ओर सनातन समाज के पास अपनी रक्षा व प्रतिकार हेतु कोई मार्गदर्शन ही नही है । कुछ संगठन सनातन को समर्पित थे भी लेकिन शायद वो भी राजनीतिक इकाई बनकर आश्वस्त होकर वैभव का सुख भोग विश्राम कर रहे हैं।