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साहित्य उपवन

रसूल के अपमान पर मृत्यु व् ईश्वर के अपमान पर तीर्थ स्थलों में प्रवेश- दिव्य अग्रवाल 

इस्लाम में रसूल के खिलाफ बोलने वालो का सर तन से जुदा कर दिया जाता है और बुतपरस्ती अर्थात मूर्ति पूजा करने वालो को काफिर कहा जाता है। काफिर के लिए अनेको इस्लामिक मौलाना यही कहते हैं की मजहबी मोमिनो को काफिरो को इस्लाम कबूल करवाना चाहिए या उन्हें जहन्नुम भेज देना चाहिए। अब आमिर खान जो मूर्ति पूजा को पाखण्ड बताकर चलचरित्र के माध्यम से सनातनी पीढ़ी में सनातन धर्म के प्रति भ्र्म उत्पन कर रहे थे,आज वो अपने निजी स्थानों पर बुतपरस्ती / मूर्ति पूजा कर रहे हैं , शहरुख खान वैष्णो देवी की यात्रा कर रहे हैं तो अब युवा पीढ़ी को उनसे पूछना चाहिए की जो वो पहले कर रहे थे वो पाखण्ड था या जो वो अब कर रहे हैं वो पाखण्ड है। क्यूंकि इसे सनातन धर्म की विशेषता कहें या सनातन धर्म गुरुओं की निरंकुशता जो ईश्वर आराधना का मजाक बनाने वाले इन कलाकारों का सनातन मंदिर व् देवी शक्ति पीठो में प्रवेश होने देते हैं।अन्यथा इस्लाम में तो इबादत स्थलों पर काफिरों को प्रवेश तक नहीं मिलता आश्चर्यजनक विषय तो यह भी है की विभिन्न मुस्लिम आयतो के अनुसार अब तक तो इन कलाकारों के विरुद्ध फतवा निकलना चाहिए था जो अब तक नहीं निकला। अपने निजी स्वार्थ के चलते जब ऐसे कलाकार सनातन धर्म का मजाक बनाते है तब भी सनातन के युवा बच्चे इन लोगो को अपना आदर्श मानते हुए अपने माता पिता से विवाद करते हैं की हमे कोई पूजा पाठ नहीं करनी क्यूंकि शाहरुख़ व् आमिर की बातो में तथ्य है और अब जब यही कलाकार पूजा पाठ कर रहे हैं तो भी यही लोग इस बात को लेकर आदर्श बन जाते हैं की इतना बड़ा कलाकार होते हुए भी सभी धर्मो में विश्वाश रखता है। जबकि सत्य तो यह है की अल तकिया नियम के मुताबिक़ ऐसे कलाकार वो ही करते है जो एक जिहादी मजहबी करता है इसी सर्वधर्म समभाव के पाखण्ड के चलते अनेको सनातनी लड़किया प्रतिदिन जिहादियों का शिकार बन जाती है।

दिव्य अग्रवाल(लेखक व विचारक)

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