राष्ट्रीय
पतन के मार्ग पर दौड़ता हिन्दू समाज – दिव्य अग्रवाल

यदि मजहब या धर्म के आधार पर देखा जाए तो आधुनिकता के नाम परोसी जाने वाली नग्नता को सबसे अधिक हिन्दू परिवारों ने स्वीकारा है हतप्रभ करने वाला विषय तो ये है की हिन्दू परिवारों के मुख्या भी इस नग्नता को बढ़ावा देने में कोई कमी नहीं छोड़ते क्योंकि आज के इस युग में यही नग्नता आधुनिक जीवन का स्टेटस सिंबल बन चुकी है। विवाहित जोड़े हो या अविवाहित बच्चे इसी प्रतियोगिता में लगे रहते हैं की आधुनिक दिखने में कहीं हम पीछे न रह जाए परन्तु इसका बोध या ग्लानि तब होती है जब परिवारों के बच्चे इस प्रतियोगिता में भागते भागते गंदगी के उस दलदल में फँस जाते हैं जिसका अंत नशा , वहशीपन , अनैतिक सम्बन्ध की दुर्गति पर जाकर पूर्ण होता है ।

अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से मानने वाले नववर्ष पर गर्भ निरोधक वस्तु , शराब , ड्रग्स व् अनैतिक क्रियाकलाप सबसे ज्यादा होते हैं एवं इन सबमे सबसे ज्यादा किन परिवारों के सदस्य सम्मिलित रहते हैं इसका भी विचार सनातनी हिन्दू परिवारों को करना चाहिए। क्योंकि हिन्दू समाज की आत्मा सत्य सनातन धर्म है जिसका नववर्ष भी प्राकृतिक व वैज्ञानिकता के आधार पर निर्धारित है आज पूरा विश्व पाश्चात्य सभ्यता को त्यागकर , सनातन धर्म की एक एक बात को तथ्यात्मक रूप से स्वीकार करने की ओर अग्रसारित है एवं उसी सनातन में जन्मे लोग यदि पाश्चात्य आचरण को अपने जीवन में स्थान देते है तो यह उन सभी पूर्वजो व् माता पिता का दोष है जिन्होंने अपने धर्म शास्त्रों का अध्ययन व् अनुपालन अपने परिवार जनो के साथ नहीं किया।