लोक सभा- 2024
समय, मौसम और हवाएं
राजेश बैरागी( वरिष्ठ पत्रकार)
हवा का रुख जीत हार तय करता है। हवा का रुख कौन तय करता है? यदि यह प्रश्न बहुत कठिन नहीं है तो निरा आसान भी नहीं है। हवाओं का रुख देखकर सात समंदरों की दूरी तय करने वाले जलपोत चला करते थे। हवाओं का रुख सत्ता के शीर्ष पर विराजमान पताकाओं की दशा और दिशा तय करता है। हवा है तो गाडियां चल रही हैं, हवाई जहाज चल रहे हैं। इतने शक्तिशाली प्राकृतिक तत्व का रुख मोड़ देने या तय करने वाले लोग युगों में जन्म लेते हैं।राम कृष्ण की इस धरती पर हर जन्म लेने वाला व्यक्ति हवाओं के रुख तय करने की अभिलाषा रखता है परंतु सभी के लिए ऐसा कर पाना कहां संभव होता है। तो क्या हवाओं का रुख मोड़ने वाले विशेष व्यक्ति की प्रतीक्षा के लिए युगों का अंतराल लगता है? अब हवाओं का रुख मोड़ा नहीं जाता है।अब हवाओं को अपने हिसाब से चलाया जाता है। हवा गर्मा रही है। मौसम चक्र चल रहा है। हवाएं मौसम की जर खरीद गुलाम हो गयी हैं। मौसम बदलने के साथ हवाएं बदलने लगती हैं। हवाओं का अपना कोई वजूद है ही नहीं। हवाएं मौसम के अनूकूल चलती हैं। तो मौसम को कौन बदलता है? यह प्रश्न अधिक गूढ़ है। समय मौसम का नियंता है। जिसका समय चल रहा होता है, मौसम भी उसके अनुकूल बदलता है। मौसम बदलता है तो हवाओं का रुख बदलता है। मैंने हवाओं से उनका मिजाज पूछा तो वो हंसने लगीं। मुझे शर्मिंदा होते देखकर वो बोलीं, हवाओं और वेश्याओं का मिजाज पूछा जाना व्यर्थ है मित्र।हम पर सवार होने वाले न जाने कितने भले बुरे राज-काज पा गए और न जाने कितने कटी पतंग बनकर उड़ते और ढहते चले गए। अभी हम जिसके साथ हैं, उसका भला बुरा होना कोई मायने नहीं रखता।जब समय बदलेगा, मौसम बदलेगा तो हम भी बदल जाएंगे।तब देखना जीत की हार कैसे होती है।
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