
औरंगाबाद( बुलंदशहर) बसपा सरकार की महत्वाकांक्षी कांशी राम आवास योजना के अंतर्गत कसबे के मौहल्ला सईदगढी में लगभग एक करोड़ की लागत से सौ आवास बनवाये गये थे। मायावती के मुख्यमंत्री काल में निर्माण कार्य शुरू किया गया था लेकिन समाजवादी सरकार सत्ता में आने पर अधूरे निर्माण कार्य को पहले रोक दिया गया था लेकिन बाद में कार्य पूरा करा दिया गया था। ये आवास बसपा की नीति के अनुसार अनुसूचित जाति जनजाति के निर्बल आय वर्ग के आवास विहीन परिवारों को आवंटित किए जाने थे लेकिन सरकार बदल जाने पर योजना का उद्देश्य पूरा नहीं हो सका और किसी भी सरकार ने इस आवासों का आवंटन नहीं किया।
सरकारी उदासीनता के चलते इन आवासों पर दबंगों ने कब्जा जमा लिया। यही नहीं पर्याप्त देखरेख के अभाव में मकान जर्जर होने लगे। आलम यहां तक रहा कि अवैध कब्जे धारकों ने भी इस कारण मरम्मत नहीं कराई कि ना जाने कब मकान का कब्जा समाप्त हो जाये।
अब जाकर योगी सरकार को इन सरकारी मकानों की सुध आई है। शासन ने इन मकानों में रहने वालों तथा इनकी वर्तमान दशा की जानकारी प्रशासन से तलब की है
बुधवार को डूडा परियोजना अधिकारी रजनी सिंह और नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी भूपेंद्र प्रताप सिंह ने मौहल्ला सईदगढी स्थित कांशीराम आवासों का निरीक्षण किया और रिपोर्ट तैयार की। ई ओ भूपेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि रिपोर्ट शासन को भेज दी जाएगी।
रिपोर्टर राजेंद्र अग्रवाल