उत्तर प्रदेश
संवेदनाएं मानव से होती हैं दानव से नहीं – दिव्य अग्रवाल
समाज हेतु कार्यररत व्यक्तियों में से कुछ व्यक्तियों का निजी मनोभाव है की पाकिस्तान को अनाज की मदद करनी चाहिए । पाकिस्तान को अनाज की मदद देने से पूर्व उस माँ की उजड़ी गोद , पत्नी का उजड़ा सुहाग व् बच्चो के उजड़े आकाश को भी देख लेना चाहिए जिसका बेटा / पति / पिता सीमा की रक्षा करते हुए बलिदान हो जाते हैं । कश्मीर के उन हिन्दू पंडितो को भी देखना चाहिए जिनके परिवार के खून से अनाज सानकर उन्ही के पारिवारिक सदस्यों को पाकिस्तानी जिहादियों ने खिलाया था । मुंबई के उस कृत्य का भी स्मरण करना चाहिए जिसमे अनेको मासूमो की दर्दनाक हत्या पाकिस्तानी जिहादियों ने कर दी थी । पाकिस्तान की भुखमरी के जिम्मेदार वहां के भ्रष्ट नेता व कट्टरपंथी मजहबी सोच है।
आज जब वह सोच अपने कुकर्मों को भुगतने जा रही है तो कुछ लोग मदद कर उसी सोच को पोषित क्यों करना चाहते हैं । मदद करनी ही है तो उन परिवारों की करो जो इस चरमपंथी मजहबी सोच का दंश झेल रहे हैं । एक पुरानी कहावत है कि मतलब पर दुश्मन को भी मित्र कहना शुरू कर दो । तुर्की एक ऐसा देश जिसमे हलाल अर्थात मुस्लिम द्वारा संचालित व् निर्मित वस्तुओ के अतिरिक्त किसी अन्य वस्तु का उपयोग करना भी हराम है ,आवश्यकता पड़ने पर सारे मजहबी सिद्धांत ध्वस्त करते हुए उसी तुर्की ने गैर इस्लामिक उत्पादों की मदद अन्य देशो से स्वीकार कर ली । पाकिस्तान एक ऐसा देश जहां सिख,हिन्दू परिवारों की न महिलाए सुरक्षित हैं न पुरुष जिनकी सुरक्षा हेतु भारत को सी ऐ ऐ कानून तक बनाना पड़ा ऐसे कटटरपंथी व् अमानवीय लोगो की मदद करना पूरी मानवता के मूह पर तमाचा है ।
दिव्य अग्रवाल(लेखक व विचारक)