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राष्ट्रीय

दिल्ली हिंसा को लेकर विपक्ष ने बनाया केंद्र सरकार को घेरने का प्लान

नई दिल्ली I दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगे के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियां ने संसद में केंद्र सरकार को घेरने की तैयारी शुरू कर दी है और कुछ पार्टियों ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस भी दिया है। दरअसल, सोमवार को बजट सत्र के शेष हिस्से की शुरुआत होगी। विपक्ष की तैयारियों के बीच संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि हम मसले पर चर्चा को तैयार हैं, लेकिन अभी बजट पारित कराने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए क्योंकि यह संवैधानिक जिम्मेदारी है। बता दें कि उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए हिंसा में 40 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और कई घायलों का अभी भी अस्पताल में इलाज चल रहा है।

विपक्षियों को मुद्दे पर साथ लाएगी कांग्रेस

विपक्षी पार्टियों ने गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफा मांगने को लेकर कमर कस ली है। लोकसभा में कांग्रेस विपक्षी दलों का नेतृत्व करेगी। लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने रविवार को कहा कि दिल्ली में हुए दंगे के मुद्दे को मजबूती से उठाएगी और हिंसा की वजह पूछेगी। शाह के इस्तीफे की कांग्रेस की मांग को दोहराते हुए चौधरी ने कहा, ‘सरकार कानून-व्यवस्था बरकरार रखने में बुरी तरह नाकाम रही है। मुझे लगता है कि दंगाइयों और कुछ पुलिसकर्मियों के बीच कही न कही संबंध था, जिसके कारण जघन्य हत्याएं और आगजनी हुई जिसने पूरी दुनिया में हमारी छवि खराब की है। यह हमारे लिए बेहद चिंता का विषय है।’

वामपंथी पार्टियां करेंगी विपक्षी आवाज करेगी बुलंद

वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद सरकार पर हमले के लिए उन सभी पार्टियों को एकसाथ लाने की कोशिश करेंगे जो दिल्ली हिंसा को लेकर समान राय रखते हैं। सूत्रों ने बताया कि टीएमसी, सीपीआई और सीपीएम भी लोकसभा और राज्यसभा में यह मुद्दा उठाएगी। सीपीएम के सांसद के के रागेश ने कहा, ‘वामपंथी पार्टियां संसद में विपक्ष की आवाज बुलंद करेंगी और दोनों सदनों में दिल्ली हिंसा का मुद्दा उठाया जाएगा। मैंने रूल नंबर 267 के तहत राज्यसभा के सभापति को मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिया है।’ बीएसपी के नेता दानिश अली ने भी दिल्ली हिंसा पर स्थगन प्रस्ताव का नोटिस देने का फैसला किया है।

राष्ट्रपति से मिला कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल, यहीं से शुरुआत

विपक्षी पार्टियों का हमला उस वक्त से तेज हो गया है जब सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की थी और उनसे अपील की थी कि ‘राजधर्म का पालन’ न करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफा लिया जाए। उधर, कई गैर-कांग्रेसी पार्टियों ने भी राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर हिंसा प्रभावित उत्तर-पूर्वी दिल्ली में शांति सुनिश्चित करने और भड़काऊ बयान देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। एनसीपी, सीपीएम, सीपीआई, आरजेडी, एलजेडी, डीएमके और आप के नेताओं ने हिंसा पर काबू करने में नाकाम रहने पर अमित शाह का इस्तीफा मांगा है।

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