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राष्ट्रीय

जयपुर में धड़ाधड़ कट रहे ई रिक्शा वालों के चालान

- प्रदूषण कम करने और सुगम परिवहन सेवा शुरू करने के उद्देश्य,जयपुर शहर के तमाम क्षेत्रों में ई-रिक्शा एक सुगम यातायात व्यवस्था के रूप में है ।

जयपुर:बिहार समाज संगठन के तत्वावधान में आज ई रिक्शा चालक बड़ी संख्या में एनबीसी के पीछे दुर्गा विस्तार कॉलोनी ग्राउंड पर एकत्रित हुए। अपने अपने रिक्शा लेकर चालक ने संगठन के प्रदेश अध्यक्ष पवन शर्मा व महामंत्री चंदन मंडल के नेतृत्व में ई रिक्शा चालक ने धारना व प्रदर्शन शुरू किया। प्रदर्शन के दरबियान पुलिस प्रशासन को आना निश्चित था । प्रशासन से कहा गया कि हम लोग शांति से अपना आवाज सरकार तक पहुंचाना चाहते है। जब कि जयपुर शहर के तमाम क्षेत्रों में ई रिक्शा आसानी मिल जाता है। यह वाहन प्रदुषण रहित साधन हैं। इस तरह के साधन पर एका एक कारवाई करना उचित नहीं है। सरकार को इसके लिए समय देना चाहिए। कम से कम तीन माह का समय देना चाहिए।

फिर भी समय पर रिक्शा चालक पेपर नहीं बनवाते हैं तो कारवाई करना उचित है लेकिन सब कुछ अचानक ही हो रहा है। ई-रिक्शा बननी थी अपने जयपुर की लाइफलाइन, बन गई हमारे जी का जंजाल । प्रदूषण कम करने और सुगम परिवहन सेवा शुरू करने के उद्देश्य से राजधानी में ई-रिक्शा की शुरुआत की गई थी। लेकिन शहर की लाइफ लाइन बनने के लिए। ई- रिक्शा के लिए पॉलिसी बने ई-रिक्शा का संचालन तो शुरू कर दिया, लेकिन पॉलिसी नहीं बनाई। स्क्रैप पॉलिसी अगर आ जाए तो पुराने ई-रिक्शा बाहर हो जाएंगे। चालकों के लाइसेंस बनाने के लिए कैम्प लगाने चाहिए। ई-रिक्शा की नियमों के तहत फिटनेस भी होनी चाहिए। जयपुर को प्रदूषण से मुक्त बनाने के लिए ई-रिक्शा जरूरी है, लेकिन पॉलिसी के अनुसार चलाया जाए तो शहर की लाइफ लाइन बन सकते हैं।”

राजस्थान की राजधानी जयपुर में ई-रिक्शा वालों की शामत आ चुकी है, क्योंकि ट्रैफिक पुलिस उनके धड़ाधड़ चालान काट रही है। ई-रिक्शा वालों का चालान काटने की वजह से शहर की सड़कों व चौपड़ को लगने वाले जाम से मुक्ति मिल गई। जयपुर शहर से ई-रिक्शा नदारद होने के बाद सिटी के अन्दर सड़कें साफ-सुथरी व खाली-खाली नजर आ रही है। लेकिन उनके साथ अन्याय हो रहा है जगह-जगह ई रिक्शा चालक कों रोक कर कारवाई करते हैं बिहार समाज के सदस्य सुरेश पंडित ने कहा कि यह इस तरह के चालान काट कर गरीब तबके लोगो को परेशान करना उनको धमकाना उसके बाद रिक्शा जब्त करने की ये कार्रवाई करते है। जिनके घर रिक्शा पर आश्रित है संजीव मिश्रा ने बताया कि उनके लिए आफत शुरू हो गई है। दाने-दाने के मोहताज हो गये। जो किराए पर लेकर ई रिक्शा चलाते हैं उनके लिए आफ़त के मारे बुरी तरह से टुट चुके हैं , सरकार को इनके लिए सोचना चाहिए।

 

 

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