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ग्रेटर नोएडानोएडा

लोन दिलवाने वाली कंपनी खोल किया करोड़ों का फ्रॉड, अरेस्ट

लोन दिलवाने वाली कंपनी खोल किया करोड़ों का फ्रॉड, अरेस्ट

नोएडा. फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपये के लोन लेने के फर्जीवाड़े का यूपी एसटीएफ के साइबर क्राइम थाने ने खुलासा किया है। इस मामले में 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार आरोपी सेक्टर-142 स्थित एडवंट टावर में इंटीरियर डिजाइनिंग का ऑफिस खोलकर ठगी का गोरखधंधा चला रहे थे। ये लोग बैंक में कुछ लोगों के फर्जी दस्तावेज लगाकर उन्हें अपनी कंपनी का कर्मचारी बताते थे। इसके लिए संबंधित व्यक्ति का बैंक में बाकायदा सैलरी अकाउंट खुलवाकर उसमें कुछ महीने तक वेतन डालते थे। इसके आधार पर बैंक से लोन ले लेते थे। आरोपियों ने इस तरीके से करीब 10 करोड़ रुपये का फ्रॉड किया है।

बेहद शातिर तरीके से बैंकों को लगाया चूना
सेक्टर-36 स्थित एसटीएफ के साइबर थाने से मिली जानकारी के अनुसार, पकड़े गए आरोपियों की पहचान अरिंदम मैती उर्फ आशीष सिंह, रवि कुमार उर्फ हरीश चंद्र व मोहम्मद शारिक के रूप में हुई है। आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि तीनों पहले एक प्राइवेट बैंक के लिए लोन दिलवाने का काम करने वाली एक कंपनी में काम करते थे। वहां उन्हें लोन दिलवाने की प्रक्रिया में खामियों की जानकारी हुई। 2017 में तीनों ने फरीदाबाद में एफआईएस ग्लोबल नाम से लोन दिलवाने की कंपनी खोली। यहीं से इन लोगों ने फर्जीवाड़े का खेल शुरू कर दिया।

जो लोग इनके पास लोन लेने आते थे, उनके दस्तावेज लेने के एक-दो दिन बाद ये लोग उन्हें लोन मंजूर न होने की बात कहकर चलता कर देते थे। इसके बाद उन्हीं दस्तावेजों के आधार पर ये लोग बैंक में उन्हें अपनी कंपनी का कर्मचारी दिखा देते थे। इसके बाद उस कर्मचारी का फर्जी सैलरी अकाउंट खुलवाते थे। कुछ महीने तक उसमें सैलरी डलवाने के बाद लोन के लिए अप्लाई कर देते थे। कंपनी का कर्मचारी होने के चलते आसानी से लोन पास हो जाता था। इस तरह आरोपियों ने एक ही प्राइवेट बैंक से 21 लोगों का लोन मंजूर करवाकर 1 करोड़ 36 लाख रुपये का फर्जीवाड़ा किया। इसके बाद वहां का ऑफिस बंद करके चंपत हो गए।

नोएडा में ऑफिस खोल ठग लिए 10 करोड़
आरोपियों ने 2018 में नोएडा के सेक्टर-142 स्थित एडवंट टावर के 7वें फ्लोर पर विनसम डिजाइन प्राइवेट लिमिटेड नाम से इंटीरियर डिजाइनिंग का ऑफिस खोला। इस कंपनी का रजिस्ट्रेशन लोन लेने आए दो ग्राहकों की मूल आईडी का फर्जी तरीके से इस्तेमाल करके करा लिया। इसके बाद इंटीरियर डिजाइनिंग की आड़ में आरोपियों ने लोन लेने का फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया। आरोपियों ने लोगों के दस्तावेज हासिल करने के लिए कबाड़ियों तक से संपर्क किया था। बच्चों के दाखिले के समय लगाए जाने वाले अभिभावकों के दस्तावेज ये लोग कबाड़ियों से ले लेते थे। फिर उन दस्तावेजों के आधार पर उस नाम के व्यक्ति को अपनी कंपनी का कर्मचारी बनाकर बैंक में सैलरी अकाउंट खुलवा लेते थे। इसके बाद लोन के लिए अप्लाई करते थे।

गूगल से निकालते थे मिलते-जुलते फोटो
सैलरी अकाउंट खुलवाने के लिए अड्रेस ऑफिस का ही देते थे। फिजिकल वेरिफिकेशन के लिए गूगल से मिलते जुलते फोटो निकालते थे। इस तरीके से आरोपियों ने कई बड़े बैंकों को चूना लगाया। इसके साथ ही उन लोगों के साथ भी धोखाधड़ी की है, जिनके दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करके इन्होंने लोन लिया है। आरोपी पर्सनल लोन के साथ ही ऑटो लोन व क्रेडिट कार्ड भी बनवा लेते थे। आरोपियों ने इस तरह करीब 10 से 12 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया है। आरोपियों के कब्जे से 127 डेबिट कार्ड, 68 पैन कार्ड, 48 आधार कार्ड, 23 मोबाइल, 10 फर्जी मोहरें, 127 चैक बुक, 14 पास बुक, 27 सिम कार्ड और विटारा ब्रेजा कार बरामद की गई है।

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