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ग्रेटर नोएडा

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण:आत्मनिर्भर बनाने के लिए बकाया वसूली और फिक्स डिपॉजिट पर जोर

राजेश बैरागी( वरिष्ठ पत्रकार)

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण भविष्य में अपने खर्चों की व्यवस्था किस प्रकार के आर्थिक स्रोतों से करेगा? यदि पहले से चली आ रही आय-व्यय की व्यवस्था लागू रहती है तो क्या प्राधिकरण को गुजारा करने में मुश्किल आ सकती है।

लोकसभा चुनाव के शोर शराबे के बीच ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी आजकल इन्हीं प्रश्नों के उत्तर तलाश रहे हैं। तत्कालीन मुखियाओं की लापरवाही और अन्य कारणों से पिछले आठ दस वर्षों में खराब हुई आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए आय और व्यय के बीच प्राधिकरण की स्थाई आमदनी का प्रबंध करने पर ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए मुख्य कार्यपालक अधिकारी द्वारा दैनिक आधार पर प्राधिकरण के सभी प्रकार के बकायेदारों से वसूली की समीक्षा की जा रही है। बकायेदारों के उलझे हुए मामलों का सकारात्मक और व्यवहारिक हल निकाला जा रहा है बकायेदारों के विरुद्ध विभिन्न मदों में जोड़ी गई अनावश्यक देनदारियों से मुक्ति दिलाने पर विचार किया जा रहा है। ऐसे अनेक प्रकरण सीईओ के संज्ञान में आए हैं जिनमें किसी कारणवश भुगतान न होने की दशा में देनदारी संपत्तियों की वर्तमान दरों से भी डेढ़ दो गुना हो गई है। अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों के आधार पर अब तक 32 बिल्डरों से 210 करोड़ रुपए जमा कराए गए हैं। कई बिल्डरों से बकाया राशि जमा कराने के साथ उनकी अन्य संपत्तियों को बंधक भी बनाया गया है तथा उतने ही फ्लैटों की रजिस्ट्री की जा रही है जितने के विरुद्ध बिल्डर द्वारा बकाया भुगतान किया गया है। मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी का उद्देश्य प्राधिकरण की आय-व्यय की चली आ रही व्यवस्था को नये तरीके से लागू करने का है। उन्होंने प्राधिकरण को प्राप्त होने वाली धनराशि का अधिकतम हिस्सा बैंकों में फिक्स डिपॉजिट के रूप में रखने का निर्णय लिया है। उच्च ब्याज दरों पर फिक्स डिपॉजिट करने के लिए बैंकों से प्रतियोगी प्रस्ताव मांगे गए हैं। इसके साथ ही बैंकों से उनके सामाजिक दायित्व नैगम (सीएसआर) के अंतर्गत प्राधिकरण क्षेत्र में सरकारी विद्यालयों और अस्पतालों की दशा सुधारने के लिए धन मुहैया कराने की शर्त भी रखी जा रही है। उनकी योजना फिक्स डिपॉजिट से प्राप्त होने वाले ब्याज से प्राधिकरण के आंतरिक खर्च चलाने की है। जबकि संपत्तियों की बिक्री से प्राप्त होने वाली धनराशि से प्राधिकरण के लिए भूमि खरीदी जाएगी। इसके साथ ही उनके द्वारा प्राधिकरण पर वर्षों से चले आ रहे नोएडा प्राधिकरण और एनसीआर प्लानिंग बोर्ड जैसे संस्थानों के कर्ज का भुगतान किया जा रहा है। उनके द्वारा अमल में लाई जा रही आर्थिक प्रबंधन की योजनाएं प्राधिकरण के भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती हैं,

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