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राष्ट्रीय

अब मास्क और सैनिटाइजर जैसे जरूरी उत्पादों को कीमत से अधिक पर बेचने पर होगी जेल

नई दिल्ली । कोरोना का खौफ बढ़ता ही जा रहा है। भारत में अब तक इससे 81 लोग प्रभावित हैं, जबकि दो लोगों की मौत भी हो चुकी है। हालात के मद्देनजर उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने मास्क और हैंड सैनिटाइजर को जरूरी उत्पादों की लिस्ट में शामिल किया है। कोरोना वायरस के फैलने के साथ इन दोनों उत्पादों की कमी और कालाबाजारी के कारण यह कदम उठाया गया है। फिलहाल इस आदेश को 30 जून तक के लिए लागू किया गया है।

MRP से ज्यादा कीमत पर नहीं बेच सकते

जरूरी उत्पादों की लिस्ट में शामिल किए जाने के बाद इसकी कीमत में हुई बेतहाशा वृद्धि रोकी जा सकेगी। जरूरी उत्पाद कानून (असेंशियल कमोडिटी ऐक्ट) के तहत राज्य सरकारों को अब इन उत्पादों की कीमतें तय करने का अधिकार है। अब अगर कोई भी विक्रेता इसे MRP (मैक्सिमम रीटेल प्राइस) से ज्यादा कीमत पर बेचेगा तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

कीमत कई गुना बढ़ी

जब से कोरोना का खौफ फैला है, मास्क और हैंड सैनिटाइजर की डिमांड काफी बढ़ गई है। डिमांड बढ़ जाने के कारण इसकी कीमत में भी भारी उछाल आया है। सर्जिकल मास्क जो पहले 10 रुपये में बिकता था अब वह 40-50 रुपये में बिक रहा है। N95 मास्क जिसकी कीमत 150 रुपये के करीब होती है वह 500 रुपये के करीब बिक रहा है।

पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं मास्क

सरकार को लगातार शिकायत मिल रही थी कि मास्क और सैनिटाइजर की कीमत बहुत ज्यादा बढ़ गई है और यह पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध भी नहीं है। ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर कीमत बहुत ज्यादा है, ऐसे में बहुत से जरूरतमंद लोग इसे खरीद नहीं पा रहे हैं। सरकार ने इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए यह आदेश जारी किया है।

पकड़े जाने पर 7 साल की सजा

जरूरी उत्पाद लिस्ट में शामिल किए जाने के बाद राज्य सरकारें अब ऐसे वेंडर और दुकानदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती हैं जो कीमत बढ़ाकर इसे बेच रहे हैं। असेशिंयल कमोडिटी ऐक्ट के तहत दोषी पाए जाने पर 7 साल तक की सजा, जुर्माना और दोनों का प्रावधान है। सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही है कि मास्क और सैनिटाइजर की सप्लाई में कोई कमी नहीं आए।

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