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Bulandshahr

विद्युत विभाग में भ्रष्टाचार का नवीनतम मामला प्रकाश में आया

औरंगाबाद:- विद्युत विभाग यूं ही रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात नहीं है. कुछ तो है जिसके कारण विभाग के आला अफसरों को तो छोडिये जे ई तक लाखों की गाड़ी में आवाजाही करते नजर आते हैं.

हाल ही में विद्युत विभाग के भृष्टाचार और रिश्वतखोरी का एक मामला प्रकाश में आया है. औरंगाबाद क्षेत्र में एक बडे़ उद्योग पति ने बायोटेक फूड फैक्ट्री स्थापित करने के लिए विभाग में पांच सौ किलोवाट का कनैक्शन लेने के लिए आवेदन किया. इतने बड़े कनैक्शन लेने का आवेदन पत्र देखते ही विभाग के छोटे से बडे़ अफसरों की लार टपकने लगी. आनन फानन में उपभोक्ता से मोटी रकम वसूलने की योजना बना ली गई और उद्योग पति को एक फर्जी ठेकेदार से एक करोड़ साठ लाख रुपये का एस्टीमेट बनवाकर थमा दिया गया. एस्टीमेट देने के साथ ही रिश्वत की मांग भी हुई.हक्के बक्के उद्योगपति ने मामले की शिकायत चेयरमैन विद्युत परिषद से की.

मामले की गंभीरता देख चेयरमैन विद्युत परिषद ने कडक रूख अपनाते हुए पहले चीफ से मामले की जानकारी मांगी गई तथा जांच के लिए डिस्काम एस ई संजय गर्ग को मौके पर जांच करने भेजा.

संजय गर्ग ने विभाग के आला अफसरों को साथ लेकर उद्योग पति के निर्माणाधीन स्थल पर पहुँच कर जांच पडताल की. जानकर सूत्र बतारहे है कि संजय गर्ग को जानकारी दी गई कि एस्टीमेट एस डी ओ जे पी गुप्ता ने दिया, . मामले का दिलचस्प पहलू यह है कि एस डी ओ जे पी गुप्ता ने आवेदन पर कनैक्शन देने में आपत्ति लगाने का श्रेय अधिशासी अधिकारी जितेंद्र कुमार सिंह को देते हुए बता दिया कि अधिशासी अधिकारी के कहने पर आपत्ति लगाई गई थी.

जांच पूरी करके जांच अधिकारी संजय गर्ग जा चुके हैं. उन्होंने जांच रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंपने की बात कही है.

चीफ एजुकेटिव अधिकारी ऐ के सिंह ने मामले की बाबत पूछने पर बताया कि जांच में पूरा सहयोग किया गया है. जांच रिपोर्ट सामने आने पर ही सही गलत, आरोप साबित होने अथवा ना होने का पता चल सकेगा,

अधिशासी अधिकारी जितेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि एस्टीमेट बनवाकर देना एस डी ओ का काम है. उन्होंने किसी को आपत्ति लगाने अथवा ना लगाने के कोई निर्देश नहीं दिया है.

दूसरी तरफ एस डी ओ जे पी गुप्ता ने तो मामले की सत्यता को ही नकार दिया और बताया कि संबंधित उद्योग पति उनके दफ्तर में ही मौजूद हैं. ना किसी ने रिश्वत मांगी ना कोई एस्टीमेट बना आप उद्योग पति से बात कर लीजिए.

एस डी ओ की सफाई से आभास होता है कि मामले को दबाने और सुलहनामा करने के प्रयास युद्धस्तर पर जारी हैं देखना है कि मामले में कोई कारवाई होगी अथवा पूर्व की भांति इसपर भी विभाग पर्दा डालने में सफल हो जायेगा।

औरंगाबाद से राजेन्द्र अग्रवाल

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