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राष्ट्रीयस्वास्थ्य

कैसे हेल्दी बनेगा इंडिया-10 साल में स्वास्थ्य बजट 175% और हर आदमी के स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च 166% बढ़ा, फिर भी 2.5 लाख ने बीमारी से तंग आकर खुदकुशी की

नई दिल्ली. कोरोनावायरस न सिर्फ हमारे देश, बल्कि पूरी दुनिया के हेल्थ सिस्टम के लिए चुनौती बन गया है। चुनौती इसलिए, क्योंकि इससे अब तक अकेले हमारे देश में ही 1.20 लाख लोग संक्रमित हुए और साढ़े 3 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि, दुनियाभर में इस वायरस से 52 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। 3.3 लाख से ज्यादा ने जान गंवाई हैं।

हमारे देश में कोरोनावायरस का पहला मरीज 30 जनवरी को मिला था। उसके दो दिन बाद ही हमारा बजट आया। इस बार हेल्थ बजट पिछले साल के मुकाबले 4% ज्यादा था। 2019-20 में हेल्थ के लिए सरकार ने 64 हजार 609 करोड़ रुपए रखे थे। जबकि, 2020-21 में 67 हजार 112 करोड़ रुपए रखे गए।

पिछले 10 साल में ही हमारे हेल्थ बजट में 175% की बढ़ोतरी हुई है। फिर भी हमारे यहां हेल्थ पर कुल जीडीपी का 2% से भी कम होता है। जबकि, चीन में कुल जीडीपी का 3.2%, अमेरिका में 8.5% और जर्मनी में 9.4% खर्च हेल्थ पर होता है।

नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2019 के मुताबिक, 2017-18 में केंद्र सरकार ने लोगों की हेल्थ पर जीडीपी का 1.2% ही खर्च किया। 2009-10 में सरकार ने हर व्यक्ति की हेल्थ पर सालभर में सिर्फ 621 रुपए खर्च किए थे। जबकि, 2017-18 में ये खर्च 166% बढ़कर 1657 रुपए हो गया। अगर इस हिसाब से देखें तो सरकार हर व्यक्ति की हेल्थ पर रोज सिर्फ 4.5 रुपए खर्च करती है।वहीं,

नेशनल हेल्थ अकाउंट्स 2016-17 में एक अलग जानकारी ही मिलती है। इसके मुताबिक, 2016-17 में केंद्र-राज्य सरकार के अलावा लोगों ने सालभर में खुद अपनी जेब से 3 लाख 40 हजार 196 करोड़ रुपए हेल्थ पर खर्च किए थे। इस हिसाब से हर व्यक्ति ने अपनी जेब से हेल्थ पर 2,570 रुपए का खर्च किया था। लोगों की हेल्थ पर 2017-18 में 37% केंद्र और 67% राज्य सरकार ने खर्च किया था।

हेल्थ बजट भी बढ़ा, हेल्थ पर खर्चा भी बढ़ा, फिर भी 10 साल में 2.5 लाख आत्महत्याएं
पिछले 10 साल में सरकार ने हेल्थ बजट में करीब ढाई गुना की बढ़ोतरी की। जबकि, हर व्यक्ति की हेल्थ पर होने वाला खर्चा भी डेढ़ गुना से ज्यादा बढ़ाया। उसके बाद भी 10 साल में 2.48 लाख लोगों ने सिर्फ बीमारी से तंग आकर आत्महत्या कर ली।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि 2009 से 2018 के बीच इन 10 साल 2.48 लाख से ज्यादा लोगों ने सिर्फ इसलिए आत्महत्या कर ली, क्योंकि वो अपनी बीमारी से परेशान हो चुके थे।

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