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राष्ट्रीय

मस्जिदों के फंड का उपयोग कौम की लड़ाई के लिए करते

मस्जिद के फंड का उपयोग कोम की लड़ाई के लिए करते - दिव्य अग्रवाल

सहिष्णुता एवम असहिष्णुता का प्रत्यक्ष प्रमाण रामनवमी को पुनः देखने को मिला । भारत के लगभग सात राज्यो में एक ही दिन अनेकों स्थानों पर रामनवमी की शोभा यात्रा पर पथराव किया गया , आगजनी की घटनाएं हुई , घरों व परिवार को भी टारगेट किया गया । क्या यह सब अचानक हुआ था या सुनियोजित था। यदि यह सब सुनियोजित था तब प्रश्न उठता है कि वह कौन सा नेटवर्क है जिसके माध्यम से इन सात राज्यो में एक ही दिन इन घटनाओं को अंजाम दिया गया ।

शासन व प्रशासन ने मुस्तैदी दिखाते बहूत सी जगह कड़ी कार्यवाही करते हुए कटरपंथी लोगो को दंगाई भी घोषित किया । परन्तु क्या वास्तव में वे मात्र दंगाई थे ओर क्या किसी भी दंडनात्मक कार्यवाही से उन दंगाइयों पर कोई प्रभाव पड़ने वाला है । शायद नही क्योंकि जिस मानसिकता , मजहबी , कटरपंथी शिक्षा से इन युवाओं एवम नाबालिग लोगो को तैयार किया जाता है । जब तक उस मूल समस्या का निदान नही होगा यह उन्मादी समस्या कैंसर की तरह पूरे देश मे फैल जाएगी । निर्दोष लोगों को , परिवारों के साथ साथ प्रसाशन व पुलिसकर्मियों को भी यह उन्मादी व मजहबी भीड़ अपना निशाना बनाती है। इसका कारण कोई विशिष्ट दंगा नही अपितु वह शिक्षा है जिसके अंतर्गत काफिरो अर्थात गैरइस्लामिक लोगो का समापन ही मजहबी सवाब बताया गया है ।यदि मानवता व देश को बचाना है तो वृक्ष की उस जड़ को ठीक करना ही होगा जिसके खराब होने पर पूरा वृक्ष ही सड़ रहा है ।

दिव्य अग्रवाल
दिव्य अग्रवाल(राष्ट्रवादी लेखक व विचारक, गाजियाबाद)

एक ओर सहिष्णुता का पालन करते करते मानवतारूपी सभ्य समाज कायरता का चोला ओढ़कर समापन की ओर जा रहा है ओर दूसरी ओर अति बुद्धिजीवी लोग, प्रत्येक उन्मादी व मजहबी घटना को राजनीतिक रूप दे देते हैं। जिस तरह कश्मीरी हिन्दुओ का नरसंघार धार्मिक स्थलों से संचालित किया गया था । ठीक उसी तरह उन्मादी व मजहबी लोग आज भी मानवता के विरुद्ध , धार्मिक स्थलों से भयावह एवम अमानवीय योजनाए बना रहे हैं । सभ्य व मानवतावादी लोग सब कुछ सरकार के भरोसे छोड़कर , भंडारे , शोभायात्रा , कीर्तन आदि में संलग्न है परन्तु हजारों वर्षों का पौराणिक इतिहास साक्षी है जो समाज स्वम की सुरक्षा व आत्मरक्षा हेतु सजग नही होता उसकी रक्षा ईश्वर भी नही कर पाते ।

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