[ia_covid19 type="table" loop="5" theme="dark" area="IN" title="India"]
राष्ट्रीय

लोकतंत्र को मजबूत बनाए रखने के लिए आंदोलनों की लहर जरूरी: प्रणब मुखर्जी

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून पर विरोध के बीच पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि किसी भी विषय पर सहमति और असहमति ही लोकतंत्र का मूल तत्व है। जहां तक आंदोलनों की बात वो लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी है। लेकिन यह देखना होगा कि कोई भी आंदोलन दिशाहीन न हो।

चुनाव आयोग द्वारा आयोजित सुकुमार सेन लेक्टर सीरीज में कहा कि जब कोई भी दल या शख्स चुनाव आयोग की अवमानना करता है तो सही माएने में लोकतांत्रिक प्रक्रिया ही बदनाम होती है। किसी भी दल को देखना होगा कि वो आयोग के सम्मान को बरकरार रखे। लोकतंत्र में जनका का आदेश सर्वोपरि होता है और उस विश्वास को जाहिर करने में चुनाव आयोग अपनी भूमिका बनाता है।

उन्होंने कहा कि आज का युवा पहले से ज्यादा मुखर है, उसके पास सूचनाओं का भंडार है और इसलिए वो ज्वलंत मुद्दों पर अपनी राय रखता है। ये हो सकता है कि सरकार के किसी फैसले पर जो विरोध होता है वो सत्ता को रास न आए। लेकिन सच यह है कि लोकतांत्रिक मूल्यों की कसौटी पर जो आंदोलन खरे उतरते हैं उस आवाज को दबाया नहीं जाया सकता है।

जानकार कहते हैं कि प्रणब मुखर्जी तो अब किसी राजनीतिक दल से जुड़े हुए नहीं हैं। लेकिन इस तरह के बयान से मोदी सरकार पर नैतिक सवाल उठ खड़ा होता है और सरकार को असहज हालत का सामना करना पड़ सकता है। प्रणब मुखर्जी ने जब नागपुर के आरएएस कार्यक्रम में फैसला किया और शामिल हुए तो उस समय भी कांग्रेस के लिए असहज स्थिति थी।

Show More

Related Articles

Close